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जयंती विशेष: समतामूलक समाज के उन्नायक गुरुनानक देव

जयंती विशेष: समतामूलक समाज के उन्नायक गुरुनानक देव

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव सिख धर्म के संस्थापक आदि गुरु नानकदेव जी मानवीय कल्याण के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने समकालीन सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक विसंगतियों, विडंबनाओं, विषमताओं, आडंबरों,कर्मकांडों अंधविश्वासों तथा जातीय अहंकार के विरुद्ध लोक चेतना जागृत की। साथ ही तत्कालीन लोदी और मुगल शासकों के बलपूर्वक मतांतरण तथा बर्बर अत्याचारों के विरुद्ध प्रखर राष्ट्र वाद का निर्भीकतापूर्वक क्रांतिकारी शंखनाद किया। उन्होंने विभिन्न उपमाओं, रूपकों, प्रतीकों और संज्ञाओं से परिपूर्ण अमृतवाणी से एक ओंकार सतनाम, आध्यात्मिक पवित्रता ,सामाजिक समरसता, साम्प्रदायिक सद्भाव, कौमी एकत, बंधुता लैंगिक समानता ,नारी सम्मान के साथ ही भेदभाव रहित समतामूलक समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर अपने स्वतंत्र दृष्टिकोण से हिंदू धर्म को संगठित संघर्ष प्रदान किया। गुरुनानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास तलवंडी नामक स...
प्रकाशोत्सव: गुरुनानक देव की वाणी में बाबरगाथा

प्रकाशोत्सव: गुरुनानक देव की वाणी में बाबरगाथा

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- रावेल पुष्प सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव का काफी समय न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण करने में बीता बल्कि देश से बाहर भी उन्होंने यात्राएं कीं और लोगों के जीवन में रंग भरने की कोशिश की। गुरुनानक देव जी ने अधिकतर जगहों पर रुक- रुक कर अपनी यात्राएं कीं। उनकी की गई यात्राओं को आमतौर पर चार हिस्सों में बांटा जाता है जिन्हें "उदासियां" कहा गया है। गुरुनानक देव जी 1497 से 1522 तक अपनी यात्राओं से जब वापस लौट चुके थे उसके कुछ समय बाद ही उज्बेकिस्तान में जन्मे जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर ने काबुल और कंधार को जीतने के बाद भारत पर आक्रमण किया। वैसे तो बाबर ने भारत पर कुल जमा पांच बार आक्रमण किया और आखिर पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली की गद्दी पर तख्तनशीन हुआ और मुगल साम्राज्य की स्थापना की। अपने हमलों के दौरान मुगल सिपाहियों ने ऐमनाबाद को बुरी तरह लूटा और लोगों पर न सि...