Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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समाज का पथ प्रदर्शक होता है शिक्षक

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा मनुष्य के जीवन में गुरु का स्थान सर्वोत्तम माना गया है, क्योंकि गुरु ही एकमात्र ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने शिष्य को जीवन में कर्म पथ पर चलने का सही मार्ग दिखाता है। कहा जाता है कि गुरु के बिना ज्ञान अधूरा रहता है। यह बात बिल्कुल सत्य है। हमारे जीवन में सबसे पहली गुरु तो मां होती है जो हमें जन्म लेते ही हर बातों का ज्ञान कराती है। मगर विद्यार्थी काल में बालक के जीवन में शिक्षक एक ऐसा गुरु होता है जो उसे शिक्षित तो करता ही है साथ ही उसे अच्छे-बुरे का ज्ञान भी कराता है। पहले के समय में तो छात्र गुरुकुल में शिक्षक के पास रहकर वर्षों विद्या अध्ययन करते थे। उस दौरान गुरु अपने शिष्यों को विद्या अध्ययन करवाने के साथ ही स्वावलंबी बनने का पाठ भी पढ़ाते थे। इसीलिए कहा गया है कि गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए। गुरु का स्थान ईश्वर से भी बड़...