Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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गजराजों की बढ़ती नाराजगी

अवर्गीकृत
- प्रभुनाथ शुक्ल मानव जितना सभ्य हुआ उससे कई गुना स्वार्थी बन गया। वह सहयोगी और सहचर जंगली जानवरों पर जरूरत से अधिक क्रूर हो चला। उसे तनिक भी ख्याल नहीं आया कि जिस प्राकृतिक वातावरण में वह रहता है उसमें साथ रहने वाले पशु-पक्षी और जंगली जानवर भी हमारे मित्र हैं। वह हमारी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े हैं। हम विकास की आड़ में जंगलों को काटना शुरू कर दिया। परिणाम जंगल खत्म होते गए। जंगली जानवरों और इंसानों में संघर्ष शुरू हो गया। जिसमें दोनों की बहुत बड़ी क्षति हुई। हमने प्रकृति के साथ साहचर्य बना कर जीने के बजाय प्राकृतिक संपदाओं का विनाश मानव जीवन का उद्देश्य बना लिया। जिसका दुष्परिणाम आज हम भुगत रहे हैं। जिसकी वजह से जंगली जानवर शेर, बाघ, चीता और हाथी मानव बस्तियों तक पहुंच रहे हैं। मीडिया में आए दिन मानव बस्तियों में जंगली जानवरों कि हिंसा सुर्खियों में रहती हैं। जंगलों के आसपास मानव बस्त...