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स्मति शेषः बहुत याद आएंगे अमीन सयानी

स्मति शेषः बहुत याद आएंगे अमीन सयानी

अवर्गीकृत
- संजय तिवारी (21 दिसंबर 1932 - 20 फरवरी 2024) विश्व में हिंदी के लोकप्रिय रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी अब नहीं रहे। अपनी आवाज में यादों का सागर छोड़ कर उन्होंने विदा ले ली है। उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल की जब उन्होंने रेडियो सीलोन के प्रसारण पर अपने बिनाका गीतमाला कार्यक्रम को प्रस्तुत किया । वह आज भी सर्वाधिक अनुकरणीय उद्घोषकों में से एक थे। पारंपरिक "भाइयों और बहनों" के विपरीत भीड़ को "बहनों और भाइयों" के साथ संबोधित करने की उनकी शैली को अभी भी एक मधुर स्पर्श के साथ एक घोषणा के रूप में माना जाता है। अमीन सयानी वस्तुत हिंदी भाषा के लिए एक ऐसी अमूल्य निधि हैं जिनको सदैव याद किया जाएगा। हिंदी में आवाज के इस जादूगर ने 1951 से अब तक 54,000 से अधिक रेडियो कार्यक्रमों और 19,000 स्पॉट/जिंगल्स का निर्माण, संचालन (या भाषण) किया है। अमीन सयानी को उनके भाई...
बहुत याद आएंगे सलीम दुर्रानी

बहुत याद आएंगे सलीम दुर्रानी

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- आर.के. सिन्हा सलीम दुर्रानी के बीते रविवार को निधन से भारत ने अपना 1960 और 1970 के दशकों के एक बेहद लोकप्रिय और लाजवाब क्रिकेटर खो दिया। सलीम दुर्रानी ने गुजरात के जामनगर में आखिरी सांस ली। सलीम दुर्रानी जब मैदान में होते थे, तो कोई भी लम्हा नीरस नहीं होता था। सलीम दुर्रानी के लिए मशहूर था कि वे दर्शकों की मांग पर छक्का मारते थे। उन्हें भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल हरफनमौला क्रिकेटर माना जाता था। दर्शकों की छक्के की मांग को वे फौरन पूरा करते थे। वे राजधानी में सालों राजस्थान की तरफ से रणजी ट्रॉफी के मैच खेलने के लिए करनैल सिंह स्टेडियम में आया करते थे। राजस्थान की उस दौर की टीम में हनुमंत सिंह, लक्ष्मण सिंह तथा कैलाश गट्टानी जैसे स्टार प्लेयर होते थे। हनुमंत सिंह तो सेंट स्टीफंस कॉलेज के स्टूडेंट रहे थे। पर सलीम दुर्रानी की लोकप्रियता के सामने बाकी सब उन्नीस थे। उनकी बेखौफ बल्लेबाजी को दे...