Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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चार सौ पार के नारे के इर्द-गिर्द सिमटा चुनावी विमर्श

चार सौ पार के नारे के इर्द-गिर्द सिमटा चुनावी विमर्श

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- विकास सक्सेना देश में लोकतंत्र का महापर्व आम चुनाव चल रहा है। मतदाताओं को लुभा कर उन्हें अपने पाले में लाने के लिए सभी राजनैतिक दल पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव पिछले चुनावों के मुकाबले कई मायनों में अलग है। देश की सामरिक, आर्थिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक प्रगति के साथ कूटनीतिक सफलता से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से अबकी बार 400 पार का नारा दिया है, पूरा चुनावी विमर्श इसी के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गया है। केंद्र की सत्ताधारी भाजपा और उसके समर्थक दलों के नेता ये साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि इस बार उन्हें 400 से ज्यादा सीटों पर विजय मिलने जा रही है और विपक्षी पूरी ताकत से दावा कर रहे हैं 400 पार का नारा भाजपा का ख्याली पुलाव भर है जो कभी पूरा नहीं होगा। इस सबके बीच लोकसभा चुनाव 2024 के बाद देश की सत्ता कौन संभालेगा इसको लेकर सत्तापक्ष और विपक...
लोकतंत्र के महापर्व में संवाद की शालीनता अपरिहार्य

लोकतंत्र के महापर्व में संवाद की शालीनता अपरिहार्य

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- हृदयनारायण दीक्षित आम चुनाव की घोषणा के साथ आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। सामान्य संवाद की भाषा बदल गई है। शब्द आक्रामक हो गए हैं। संवाद की शालीनता समाप्त हो रही है। कायदे से दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए। संवाद की भाषा परस्पर प्रेमपूर्ण होनी चाहिए। दल परस्पर शत्रु नहीं हैं। वे लोकतांत्रिक व्यवस्था को आमजनों तक ले जाने और मजबूत करने के उपकरण हैं। लेकिन शब्द अपशब्द हो रहे हैं। वैचारिक आधार पर दलों के मध्य बहस नहीं है। प्रधानमंत्री तक को अपशब्द कहे गए हैं। भारत के आम चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्री उत्सव हैं। लेकिन अपशब्दों के प्रयोग वातावरण को उतप्त कर रहे हैं। आचार संहिता में निर्देश दिए गए हैं कि सभी दल और उम्मीदवार जाति, सम्प्रदाय, पंथिक समूह या भाषाई समूहों के मध्य अलगाववाद बढ़ाने से दूर रहेंगे। परस्पर विद्वेष और तनाव बढ़ाने वाले शब्दों का प्रयोग नही...
छठ महापूजा है सूर्योपासना का महापर्व

छठ महापूजा है सूर्योपासना का महापर्व

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- योगेश कुमार गोयल आस्था और निष्ठा का अनुपम लोकपर्व 'छठ' उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला सूर्योपासना का महापर्व है। यह पर्व सूर्य, उनकी पत्नी उषा तथा प्रत्यूषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्य की बहन छठी मैया को समर्पित है। उषा तथा प्रत्यूषा को सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत माना गया है। इसीलिए छठ पर्व में सूर्य तथा छठी मैया के साथ इन दोनों शक्तियों की भी आराधना की जाती है। षष्ठी देवी को ही छठ मैया कहा गया है, जो निसंतानों को संतान देती हैं और संतानों की रक्षा कर उनको दीर्घायु बनाती हैं। पुराणों में पष्ठी देवी का एक नाम कात्यायनी भी है, जिनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी को होती है। माना जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठी माता प्रसन्न होकर घर-परिवार में सुख-समृद्धि, रोगमुक्ति, सम्पन्नता और मनोवांछित फल प्रदान ...

शारदीय नवरात्रिः मातृशक्ति के सम्मान का महापर्व

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव भारत की सांस्कृतिक चेतना के भव्य और विराट स्वरूप की अभिव्यक्ति हमारे पर्व और त्योहार हैं। यह राष्ट्रीय हर्ष, उल्लास, उमंग और उत्साह के भी प्रतीक हैं। ये देशकाल और परिस्थिति के अनुसार अपने रंग-रूप आकार में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं और उन्हें व्यक्त करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं। किंतु उनका सरोकार अंततः मानवीय कल्याण, सुख और आनंद की उपलब्धि अथवा किसी आस्था, विश्वास, परम्परा या संस्कार का संरक्षण ही होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर अर्थात सोमवार से हो रहा है। शक्ति की उपासना का यह पर्व आत्मसंयमी साधकों को आध्यात्मिक प्रेरणा देने की शक्ति का पर्व समूह है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में एक पूरा सूक्त शक्ति की आराधना पर केंद्रित है। इसमें शक्ति की भव्यता का दुर्लभ स्वरूप मुखरित हुआ है- " मैं ही ब्रह्म के दोषियों को मारने के लिए रुद्र का धनुष चलाती हूं।...