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मप्र में किसानों और निर्धन परिवारों के सरकारी स्कूल में पढ़े बच्चे भी बन सकेंगे डॉक्टरः शिवराज

मप्र में किसानों और निर्धन परिवारों के सरकारी स्कूल में पढ़े बच्चे भी बन सकेंगे डॉक्टरः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
बीमारू से विकसित बना है मध्यप्रदेशः हिमन्ता बिश्वा शरमा भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में सभी के लिए मकान, किसानों को सम्मान निधि, विद्यार्थियों को अनेक सुविधाएं देकर लाभान्वित किया जा रहा है। जो प्रावधान अन्य प्रदेशों में नहीं है, वे मध्यप्रदेश में किए गए हैं। यह मध्यप्रदेश है, जहाँ किसानों और निर्धन परिवारों के ऐसे बच्चे भी अब डॉक्टर बन सकेंगे, जो सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं। इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री चौहान सोमवार शाम को विदिशा जिले के शमशाबाद में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं। कार्यक्रम को असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिश्वा शरमा ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मध्यप...
मप्रः सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा प्रवेश में 5 फीसदी सीट आरक्षित

मप्रः सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए चिकित्सा शिक्षा प्रवेश में 5 फीसदी सीट आरक्षित

देश, मध्य प्रदेश
- चिकित्सा शिक्षा नियम में संशोधन जारी भोपाल। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम-2018 में संशोधन किया है। संशोधन के अनुसार अब शासकीय विद्यालय के विद्यार्थी को सभी शासकीय एवं निजी महाविद्यालय में एमबीबीएस एवं बीडीएस के लिये स्वीकृत कुल सीट्स में से पांच प्रतिशत सीट्स आरक्षित की गई हैं। यह जानकारी गुरुवार को जनसम्पर्क अधिकारी दुर्गेश रायकवार ने दी। उन्होंने बताया कि महिला अभ्यर्थी को सभी महाविद्यालयों में सभी पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत आरक्षण, दिव्यांग अभ्यर्थी को सभी महाविद्यालयों में सभी पाठ्यक्रम में पांच प्रतिशत तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अभ्यर्थी और सैनिक अभ्यर्थी को केवल शासकीय महाविद्यालय में एमबीबीएस एवं बीडीएस के लिये कुल सीट्स का 3-3 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। संशोधन अनुसार प्रवर्ग को स्पष्ट करते हुए बताया गया है कि इसमें महिला, स्वतंत्रता संग्राम सेन...
ऐसे बदल सकती है सरकारी स्कूलों की तस्वीर…!

ऐसे बदल सकती है सरकारी स्कूलों की तस्वीर…!

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे भारतीय शिक्षा व्यवस्था उसमें भी खासकर सरकारी तंत्र के अधीन संचालित शिक्षण संस्थाएं आज भी उस मुकाम पर नहीं पहुंच सकीं जिसकी उम्मीद थी। जिनके लिए और जिनके सहारे सारी कवायद हो रही है वही महज रस्म अदायगी करते हुए तमाम सरकारी फरमान एक-दूसरे तक इस डिजिटल दौर में फॉरवर्ड कर खानापूर्ति करते नजर आते हैं। ऐसी तमाम कोशिश, योजनाओं के बावजूद मौजूदा हालात देख जल्द कुछ अच्छे सुधार की उम्मीद बेमानी है। सबसे ज्यादा बदहाल सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं है। सच तो यह है कि भारत में पूरी शिक्षा व्यवस्था यानी बुनियादी से लेकर व्यावसायिक तक बाजारवाद में जकड़ी हुई है। इसी चलते जहां निजी या कहें कि आज के दौर के धनकुबेरों या बड़े कॉर्पोरेट घरानों के स्कूल जो फाइव स्टार सी चमक दिखाकर रईसों में लोकप्रिय हैं तो वहीं मध्यमवर्गीय लोगों की पसंद के अपनी खास चमक-दमक, लुभावनी वर्दी, कंधों पर भारी भरकम स्कूल बै...