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विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगना रानी दुर्गावती का साम्राज्य और गोंडवाना का स्वर्ण युग

विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगना रानी दुर्गावती का साम्राज्य और गोंडवाना का स्वर्ण युग

अवर्गीकृत
- डॉ. आनंद सिंह राणा "मृत्यु तो सभी को आती है अधार सिंह, परंतु इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो स्वाभिमान के साथ जीये और मरे" -रानी दुर्गावती (आत्मोत्सर्ग के समय अपने सेनापति से कहा था) भारत के हृदय स्थल में स्थित त्रिपुरी के महान कलचुरि वंश का 13 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में अवसान हो गया था, फलस्वरूप सीमावर्ती शक्तियां इस क्षेत्र को अपने अधीन करने के लिए लिए लालायित हो रही थीं। अंततः इस संक्रांति काल में एक वीर योद्धा जादोंराय (यदुराय) ने, तिलवाराघाट निवासी एक महान् ब्राह्मण संन्यासी सुरभि पाठक के भगीरथ प्रयास से, त्रिपुरी क्षेत्रांतर्गत, गढ़ा-कटंगा क्षेत्र में गोंड वंश की नींव रखी। (यह उपाख्यान आचार्य चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य की याद दिलाता है) कालांतर में यह साम्राज्य महान गोंडवाना साम्राज्य के नाम से जाना गया।गोंडवाना साम्राज्य का चरमोत्कर्ष का प्रारंभ 48वीं पीढ़ी के महानायक राजा स...