बुंदेलखंड में विरासत और विकास का स्वर्णिम अध्याय
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
पांच वर्ष पहले तक रानी झांसी का बुंदेलखंड उपेक्षित था। यहां के लोगों ने पहले सपा और बसपा पर विश्वास व्यक्त किया था। इन पार्टियों को पूर्ण बहुमत मिलने में बुंदेलखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान था। लेकिन यहां के लोगों की आकांक्षा पूरी नहीं हुई। चंद क्षेत्रों को विशिष्ट मानने वाली इन दलों की सरकारों ने बुंदेलखंड पर कोई ध्यान नहीं दिया। पानी की समस्या ने बुंदेलखंड को बदहाल कर दिया। कृषि और पशुपालन दोनों में लोगों को नुकसान हुआ। लोग गांव में मवेशियों को छोड़कर पलायन कर गए। निवेश के अनुकूल माहौल नहीं था। डबल इंजन सरकार से पहले यहां की समस्याओं के समाधान कोई कोई स्थाई योजना ही नहीं बनाई गई। तात्कालिक प्रयास अवश्य किए जाते रहे। नरेन्द्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद बुंदेलखंड पर ध्यान दिया। उन्होंने तात्कालिक राहत के साथ दीर्घकालिक कार्ययोजना भी बनाई। किन्तु प्रारं...