क्या बहुसंख्यक और अन्य भी देव प्रार्थना के लिए सड़कों पर कब्जा जमाएं?
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
आज ये प्रश्न बार-बार मतिष्क में कौंध रहा है कि यदि भारत की सड़कों पर नमाज अदा करते मुसलमानों की तरह देश का बहुसंख्यक हिन्दू समाज और अन्य मत-पंथ को माननेवाले भी सड़कों पर प्रार्थना के लिए उतर आएं, तब देश में क्या स्थिति बनेगी? क्योंकि भारत में विविध मत, पंथ और दर्शन इतने अधिक हैं कि यदि प्रति दिवस एक निश्चित समय देकर सभी को सड़कों पर उनके हिसाब से प्रार्थना का अवसर दिया जाएगा तो भी 24 घण्टे उन्हें अपनी ईश्वर आराधना के लिए कम पड़ेंगे। आप सोचिए, यदि इस तरह से देश में सभी को छूट मिलेगी तब क्या होगा? क्या कोई देश की इन सड़कों पर चल पाएगा? क्या कोई बीमार, जरूरतमंद जिसे अपने एक निश्चित समय पर कार्य निष्पादित करने हैं, वे सभी अपने कार्यों को पूरा कर पाएंगे? यदि इन प्रश्नों का उत्तर नहीं है, तब फिर क्यों और किस कानून के अंतर्गत इस्लामिक नमाजियों को सड़क पर प्रार्थना की छूट द...