Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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जीवन में रामत्व

जीवन में रामत्व

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- ऋचा सिंह श्रीराम को सनातन धर्म में विष्णु का अवतार माना गया है। लोग उनको भगवान और आराध्य मान कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन जब हम राम के सम्पूर्ण जीवन का अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि राम केवल पूजा के विषय नहीं हैं, वह अनुकरणीय हैं हर स्थिति काल में जीवन को दिशा प्रदान करने वाले प्रेरणा पुंज हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राम ने स्वयं को एक राजा और भगवान के अवतार के रूप में नहीं अपितु जननायक के रूप में स्थापित किया। हम उनके संपूर्ण जीवन में देखते हैं कि कैसे उन्होंने कठिन स्थितियों में भी मर्यादा के नूतन आयाम स्थापित किए। राजकुल में जन्म लेने के बाद भी राम ने अपना जीवन राजसी वैभव में नहीं बिताया। उनका बाल्यकाल आश्रम में व्यतीत हुआ, गुरुकुल में वह राजकुमारों की भांति नहीं अपितु सामान्य बालकों की भांति अपने और आश्रम के सारे कार्य करते थे। जब वह युवा हुए और राज्याभिषेक का समय आया तो उन्हें पिता...
महाशिवरात्रि: लोक कल्याण के देव हैं शिव

महाशिवरात्रि: लोक कल्याण के देव हैं शिव

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- रमेश सर्राफ महाशिवरात्रि भगवान शिव का त्यौहार है। देश के सभी प्रदेशों में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के साथ नेपाल, मारीशस सहित दुनिया के कई अन्य देशों में भी महाशिवरात्रि मनाते हैं। हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन सृष्टि के आरंभ में मध्यरात्रि में भगवान शिव ब्रह्मा से रुद्र के रूप में प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है। शिवरात्रि के प्रसंग को हमारे वेद, पुराणों में बताया गया है कि जब समुद्र मन्थन हो रहा था उस समय समुद्र में चौदह रत्न प्राप्त हुए। उन रत्नों में हलाहल भी था। जिसकी गर्मी से सभी देव दानव त्रस्त होने लगे। तब भगवान शिव ने उसका पान किया। उन्होंने लोक कल्याण की भावना से अपने को उत्सर्ग कर दिया। इसलिए उनको महादेव कहा जाता है। जब हलाहल को उन्होंने ...
भक्त की पुकार, भगवान तक पहुंचाने वाले पत्रकार हैं नारद जी

भक्त की पुकार, भगवान तक पहुंचाने वाले पत्रकार हैं नारद जी

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- योगेश कुमार गोयल ब्रह्माण्ड के प्रथम दिव्य पत्रकार नारद मुनि की जयंती इस साल छह मई को है। वो लोकमंगल के पहले संवाददाता है। इसलिए वो देवर्षि हैं। यह कितना कष्टदायी है कि तात्कालीन हास्य के अग्रदूतों ने उनको चुगलबाज और आपस में भिड़ाकर क्लेश कराने वाले पौराणिक चरित्र के रूप में गढ़ दिया। इस पर विचार करने की जरूरत है। वास्तव में उनका प्रमुख उद्देश्य प्रत्येक भक्त की पुकार को भगवान तक पहुंचाना ही था। वे एक लोक से दूसरे लोक में भ्रमण करते हुए संवाद-संकलन का कार्य कर एक सक्रिय एवं सार्थक संवाददाता की भूमिका निभाते रहे हैं। संवाद के माध्यम से नारद जी ने तोड़ने का नहीं बल्कि जोड़ने का कार्य किया है। इसलिए वो पत्रकारिता के प्रथम पितृ पुरुष हैं। उन्हें देवताओं का दिव्य दूत और संचार का अग्रणी साधक माना गया है। मान्यता है कि देवर्षि नारद का जन्म ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन हुआ था। ...