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स्मृति शेषः राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का यूं जाना

स्मृति शेषः राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव का यूं जाना

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय'शांत' राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने 'तुमुल'खंड काव्य में लिखा है कि म्रियमाण मरता है बहाना ढूंढ लेता काल है । लेकिन इन सबके बीच काल भी व्यक्ति के जीवन वृत्त,उससे जुड़े अफसाने लंबे समय तक भुलाने में समर्थ नहीं हो सकता । और अगर बात राजनीति के किसी महारथी की हो,तो उनकी यादों को भुलाना और भी कठिन हो जाता है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। वे राजनीति के बेजोड़ पहलवान थे। राजनीति में आने से पहले वे कुश्ती लड़ा करते थे। और राजनीति में आकर भी वे कुश्ती ही लड़ते रहे। उनका चरखा दांव बेहद मजबूत था। मौत के अन्तिम दिन तक वे जीवन और मौत की जंग लड़ते रहे लेकिन नियति पर किसका वश चलता है। उनका भी नहीं चला। वो सोमवार को चल बसे। मुलायम सिंह राजनीति की उस शख्सियत का नाम है, जो हर काल में नेताजी ही रहे। वे अपने पीछे ढेर सारे किस्से...