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नहीं रहेंगे पहाड़ और जंगल तो कैसा होगा जीवन

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल दुनिया में मौसम के तेजी से बिगड़ते मिजाज के कारण विभिन्न देशों में प्रकृति की मार नजर आने लगी है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है कि इस साल देश के कई हिस्से भारी बारिश के कारण बाढ़ की वजह से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं जबकि कई हिस्से मानसून शुरू होने के एक महीने बाद भी ठीक-ठाक बारिश को तरस रहे हैं। दुनिया के कई ठंडे इलाके भी इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग के कारण तप रहे हैं तो कई सूखे इलाके बाढ़ से त्रस्त हैं। जंगल झुलस रहे हैं। बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन और मौसम चक्र में आते बदलाव के कारण पेड़-पौधों की अनेक प्रजातियों के अलावा जीव-जंतुओं की कई प्रजातियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पर्यावरण के तेजी से बदलते इस दौर में वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान इन समस्याओं की ओर आकृष्ट करने के लिए प्रतिवर्ष 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है, ...