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मध्य प्रदेश में मोहन यादव का पहला निर्णय और मानसिक अत्याचार से मुक्ति

मध्य प्रदेश में मोहन यादव का पहला निर्णय और मानसिक अत्याचार से मुक्ति

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी इतिहास साक्षी भाव से वर्तमान और भविष्य को इस बात का दिग्दर्शन देता है कि आपके पूर्वजों ने क्या किया है। आपके पूर्वजों ने जो बोया उसी फसल को वर्तमान या भविष्य की पीढ़ी काटने के लिए प्रेरित या विवश रहती है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के तुरंत बाद डॉ. मोहन यादव ने प्रथम नस्ती पर जिन बिन्दुओं एवं निर्णयों को लेकर अपने हस्ताक्षर किए उन्होंने आज एक ऐसे भविष्य के मप्र का आगाज किया है, जिसे यदि संत तुलसी की भाषा में कहें तो परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई॥ (रामचरित मानस - 7/49/1) परोपकार से बढ़कर दूसरा धर्म नहीं है और किसी को दुख पहुंचाने से बढ़ कर कोई दूसरा अधर्म नहीं है। दुनिया के तमाम देशों और राज्यों में, जहां भी दृष्टि जाए आप देखें, कितनी जगह बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यकों से प्रताड़ित होता हुआ दिखता है? किंतु भारत में यह कई मुद्दों पर प्...
सिद्ध करनी होगी मानवाधिकार दिवस की सार्थकता

सिद्ध करनी होगी मानवाधिकार दिवस की सार्थकता

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- रमेश सर्राफ धमोरा मानव अधिकार वे मूल अधिकार हैं जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के पास हैं। मानवाधिकार मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता हैं। मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम और शिक्षा का अधिकार और बहुत कुछ शामिल है। बिना किसी भेदभाव के हर कोई इन अधिकारों का हकदार है। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन मानवाधिकारों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है। कुछ अधिकार ऐसे होते है जो व्यक्ति को जन्मजात मिलते हैं। उन अधिकारों का व्यक्ति की आयु, प्रजातीय मूल, निवास-स्थान, भाषा, धर्म पर कोई असर नहीं पड़ता। कहने में मानवाधिकार शब्द बहुत बड़ा है, क्योंकि मानवाधिकारों से हर व्यक्ति का हित जुड़ा होता है। आज के दौर में कोई भी मानव को उनके वास्तविक अधिकार नहीं देना चाहता है। नेता मानवाधिकार की बात तो जोरशोर से करते हैं, मगर जब अधिकार देने...
अग्निहोत्र यज्ञ है प्रदूषण मुक्ति का मार्ग

अग्निहोत्र यज्ञ है प्रदूषण मुक्ति का मार्ग

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- हृदयनारायण दीक्षित वैदिक साहित्य प्रकृति के प्रति आदर से भरा पूरा है। इस आस्था का तर्क संगत विज्ञान भी है। जर्मनी के डॉ. कुलरिच बर्क वैदिक अग्निहोत्र विज्ञान को कई देशों तक पहुंचा रहे हैं। डॉ. बर्क बर्लिन विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक रहे हैं और लगभग चार दशक से वैदिक विज्ञान में सक्रिय हैं। डॉ. बर्क ने 'व्हाट इज डन एंड व्हाट कैन बी डन विद अग्निहोत्र' शीर्षक से तीन सौ पृष्ठों का शोधपत्र बनाया। अग्निहोत्र विज्ञान पर उनके 20 से ज्यादा शोधपत्र विभिन्न देशों में प्रकाशित हुए हैं। डॉ. आरके पाठक बताते हैं कि, ''सूर्योदय के समय सम ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा उत्सर्जित होकर पृथ्वी को ऊर्जावान बनाती है। अग्निहोत्र से इसकी सकारात्मकता में वृद्धि होती है। इसी तरह सूर्यास्त के समय ऊर्जा का उत्सर्जन वापस वातावरण में मिलता है। उनके मुताबिक कई देशों में भारत के इस प्राचीन विज्ञान को अपनाया जा रहा है...
प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

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- डॉ. अनिल कुमार निगम दिल्ली और एनसीआर की हवा में एक बार फिर जहर घुल गया है। दीपोत्सव का त्योहार अभी दूर है लेकिन देश की राजधानी की हवा की गुणवत्ता का इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार चला गया है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। हर वर्ष प्रदूषण का कारण दिवाली में आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली को मानकर कुछ चंद उपाय कर लोगों को प्रदूषण के दंश को झेलने के लिए छोड़ दिया जाता है। पिछले लगभग एक दशक में अक्टूबर से जनवरी के बीच हर साल यह समस्या गहरा जाती है। दिल्ली सरकार भी ‘जब आग लगे तो खोदो कुआं’ वाली कहावत चरितार्थ करते हुए प्रदूषण कम करने के चंद उपाय करती है जिससे कुछ तात्कालिक राहत भी मिल जाती है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले जाने के बारे में गंभीर प्रयास देखने को नहीं मिलते। प्रदूषण की गंभीरता को यहां से समझना चाहिए कि अक्...
स्वाधीनता संग्राम का बीज मंत्र- ‘भारत’ माता की जय, तब बहस क्यों

स्वाधीनता संग्राम का बीज मंत्र- ‘भारत’ माता की जय, तब बहस क्यों

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- हृदयनारायण दीक्षित देश के नाम को लेकर अच्छी खासी बहस चल पड़ी है। भारत अति प्राचीन नाम है। इस नामकरण के पीछे अनेक कथाएं भी चलती हैं। संविधान सभा में 18 सितंबर, 1949 के दिन बहस हुई थी। हरिविष्णु कामथ ने भारत, हिन्दुस्तान, हिन्द भरत भूमि और भारतवर्ष आदि नाम का सुझाव देते हुए दुष्यंत पुत्र भरत की कथा से भारत का उल्लेख किया। मद्रास के केएस सुब्बाराव ने भारत को प्राचीन नाम बताया और कहा कि, ' भारत नाम ऋग्वेद में भी है।' कमलापति त्रिपाठी ने भी भारत के पक्ष में वैदिक और पौराणिक तर्क दिए। स्वाधीनता संग्राम के समय 'भारत माता की जय' पूरे देश का बीज मंत्र बना था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में चीनी यात्री ईतिसिंग द्वारा देश को भारत कहे जाने का उल्लेख किया है। भारत दुनिया का प्राचीनतम राष्ट्र है। राजनैतिक दृष्टि से भारत एक राष्ट्र राज्य है। लेकिन सांस्कृतिक अनुभूति में यह भारत माता ह...
प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

प्रसन्नता भारतीय राष्ट्रभाव का अंग

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- हृदयनारायण दीक्षित संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास समाधान नेटवर्क की हाल में जारी विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट की खासी चर्चा है। प्रसन्नता रिपोर्ट हर साल 20 मार्च के आसपास जारी की जाती है। वर्ष 2023 की रिपोर्ट में 136 देशों को शामिल किया गया है। प्रसन्नता को मापने के लिए छह प्रमुख आधार बताए गए हैं। पहला सामाजिक सहयोग है। आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति भी आधार हैं। ताजा रिपोर्ट में फिनलैंड प्रथम है। डेनमार्क दूसरा है। तीसरा आइसलैंड है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान को सबसे बुरा प्रदर्शनकर्ता बताया गया है। 136 देशों की सूची में भारत को 125वां स्थान दिया गया है। वर्ष 2022 में 146 देशों में भारत 136वें स्थान पर था। रिपोर्ट की मानें तो भारत नेपाल, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पडोसी देशों से भी पीछे है। राष्ट्रीय प्रसन्नता सूचकांक की धारणा 1972 में भूटान से प्रारम्भ हुई थ...

आजादी के अमृत और गुलामी के विष का फर्क तो समझें

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- सियाराम पांडेय'शांत' आजादी मन का विषय है। यह तन और धन का विषय है ही नहीं। हालांकि तन, मन और धन एक-दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनमें से एक भी कम हो तो बात बिगड़ जाती है और बिगड़ी बात कभी बनती नहीं। उसी तरह जैसे बिगड़े हुए दूध से मक्खन नहीं बनता। मतभेद तो फिर भी दूर किए जा सकते हैं लेकिन मनभेद को दूर करना किसी के भी वश का नहीं। इस साल भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। तिरंगा यात्रा निकाल रहा है। देश के हर घर, हर संस्थान पर तिरंगा लहरा रहा है। कुछ राजनीतिक दल अगर राष्ट्रध्वज बांट रहे हैं तो कुछ इस पर टिप्पणी भी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कह रहे हैं कि तिरंगे की आड़ में भाजपा अपने पाप छिपा रही है। तिरंगा उसे अपने कार्यालयों पर लगाना चाहिए। पार्टी का झंडा उतारकर लगाना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और खंडित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे कह र...

सुराज के सपनों का अमृत संकल्प

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- ह्रदय नारायण दीक्षित स्वाधीनता उच्चतर आनंद है और पराधीनता असह्य दुख है- पराधीन सपनेहु सुख नाही। पराधीन व्यक्ति समाज और राष्ट्र अपनी संस्कृति का आनंद नहीं ले सकते। उनके जीवन में मुक्त रस प्रवाहमान नहीं होता। भारत के लोग लगभग 200 वर्ष तक ब्रिटिश सत्ता के अधीन रहे। विदेशी सत्ता ने भारत को लूटा। यहां से कच्चा माल इंग्लैंड ले गए। वहां से यहां पक्का माल लाते रहे। भारत के उद्योगतंत्र का यहां सर्वनाश हुआ। ईसाई भय लोभ और षड्यंत्र से भारतवासी गरीबों का धर्मांतरण कराते रहे। पराधीन भारत का मन ब्रिटिश सत्ता ने तोड़ा। 1857 में पहला स्वाधीनता संग्राम हुआ। ब्रिटिश सत्ता का सिंहासन हिल गया। लड़ाई जारी रही। स्वाधीनता संग्राम में सेनानी नहीं झुके। 1942 में भारत छोड़ो की घोषणा हुई। अंततः 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत स्वाधीन हो गया। हम भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाया। संस्थाएं बनाईं। भारत में संविधान का शास...