Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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डॉ. कलाम के विचार, प्रभावित करते हैं बारंबार

डॉ. कलाम के विचार, प्रभावित करते हैं बारंबार

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- योगेश कुमार गोयल तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और देश के महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने अपना बचपन अभावों में बीतने के बाद भी अपना पूरा जीवन देश और मानवता की सेवा में व्यतीत कर दिया। न केवल भारत के लोग बल्कि पूरी दुनिया मिसाइल मैन डॉ. कलाम की सादगी, धर्मनिरपेक्षता, आदर्शों, शांत व्यक्तित्व और छात्रों व युवाओं के प्रति उनके लगाव की कायल रही है। वह देश को वर्ष 2020 तक आर्थिक शक्ति बनते देखना चाहते थे। युवा पीढ़ी को दिए गए उनके प्रेरक संदेश तथा उनके स्वयं के जीवन की कहानी तो देश की आने वाले कई पीढ़ियों को भी सदैव प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी। छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए वह अकसर कहा करते थे कि छात्रों के जीवन का एक तय उद्देश्य होना चाहिए और इस उद्देश्य को...

पूर्व राष्ट्रपति कलाम के बाद अब दूसरा बड़ा वैश्विक संदेश

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- सियाराम पांडेय 'शांत' द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना ऐतिहासिक परिघटना तो है, यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक भी है। इससे देश-दुनिया में बड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश गया है। इस देश को महिला राष्ट्रपति तो पहले भी मिल चुकी हैं लेकिन आदिवासी महिला राष्ट्रपति पहली बार मिली हैं। उपेक्षित, शोषित, वंचित आदिवासी समाज की वे आवाज बनकर उभरेंगी, यह संदेश दुनिया भर को देने की कोशिश की गई है। इस तरह का संदेश वर्ष 2002 में तब गया था जब प्रख्यात वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के राष्ट्रपति चुने गए थे। तब भारत ही नहीं दुनिया भर के मुस्लिम समाज में यह संदेश गया था कि भारत का राष्ट्रपति मुस्लिम है और उससे भी पहले वह पढ़ा-लिखा नेक इंसान है। द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में यह भी साबित हुआ है कि कोई भी राजनीतिक दल नहीं चाहता कि आदिवासी समाज उनसे नाराज हो। इसीलिए अधिकांश राजनीतिक दलों ने द्रौपदी म...