आधुनिकता में विदेशी जीवनमूल्यों का प्रवाह
- हृदयनारायण दीक्षित
आधुनिकता प्रायः आकर्षण होती है। नई होती है और ताजी प्रतीत होती है। लेकिन वास्तविक आधुनिकता विचारणीय है। आधुनिकता नकली भी होती है। दरअसल आधुनिकता स्वयं में कोई निरपेक्ष आदर्श या व्यवहार नहीं है। इसका सीधा अर्थ ही प्राचीनता का अनुवर्ती है। आधुनिकता प्राचीनता के बाद ही आती है। इसलिए हरेक आधुनिकता की एक सुनिश्चित प्राचीनता होती है। इसी तरह प्राचीनता की भी और प्राचीनता होती है। आधुनिकता को और आधुनिक कहने के लिए उत्तर आधुनिकता शब्द का चलन बढ़ा भी है। सच बात तो यही है कि प्राचीनता और आधुनिकता के विभाजन ही कृत्रिम हैं। काल अखण्ड सत्ता है। काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल संगति में प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थ...