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Tag: foreign policy

चीन के खिलाफ आक्रामक विदेश नीति जरूरी

चीन के खिलाफ आक्रामक विदेश नीति जरूरी

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- डॉ. अनिल कुमार निगम ‘शठे शाठ्यं समाचरेत्’ अर्थात दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। यह नीति भारत को अपने पड़ोसी व साम्राज्यवादी देश चीन के बारे में अपनानी चाहिए। चीन कभी भारत का विश्वसनीय पड़ोसी नहीं रहा है। नेहरू काल के दौरान चीन ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ का नारा देकर 1962 में भारत के साथ विश्वासघात भला कौन भूल सकता है। भारत की सीमा पर घुसपैठ अथवा जमीन पर कब्जा करना चीन की फितरत में रहा है। भारत की लगातार चेतावनी के बावजूद वह एलएसी का न केवल उल्लंघन करता रहा है बल्कि अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता रहा है। इसके लिए उसने साम, दाम, दंड, भेद की नीति का पालन किया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में हाल ही में रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर हमला किया गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में लगातार हमले बढ़े हैं। इसके पीछे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इन हमलों में पाकिस्तान और चीन की संयुक्त साजिश नज...
प्रधानमंत्री मोदी, नया भारत, सुदृढ़ मध्यपूर्व नीति

प्रधानमंत्री मोदी, नया भारत, सुदृढ़ मध्यपूर्व नीति

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- डॉ दिलीप अग्निहोत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर अपनी सुदृढ़ विदेश नीति का परिचय दिया है। उन्होंने इजरायल पर आतंकवादी संगठन हमास के हमले को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि इस संकट के समय भारत, इजरायल के साथ है। वस्तुतः प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय राष्ट्रीय हित और भारतीय विरासत के अनुरूप है। इजरायल, चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध भारत का खुला समर्थन कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इजरायल ने भारत का साथ दिया है। उसने यहां तक कहा था कि भारत यदि चीन और पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करेगा तो इजरायल पूरी सहायता देगा। हमास के हमले के समय भारत ने इजरायल के प्रति जो सहानुभूति दिखाई, वह नैतिक रूप से उचित है। वैसे भी भारत ने सदैव आतंकवाद का विरोध किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ में आतंकवाद के विरुद्ध साझा रणनीति बनाने का प्रस्ताव मोदी ने ही किया था। जब से...
ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के मायने

ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के मायने

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक मेरी समझ में विदेश नीति के मामले में चीन, भारत से कुछ आगे निकल रहा है, इसका ताजा उदाहरण हमारे सामने है। हम चीन को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रतिद्वंद्वी समझते हैं और अपनी जनता को यह समझाते रहते हैं कि देखो, हम चीन से कितने आगे हैं लेकिन शुक्रवार को ईरान और सऊदी अरब के बीच जो समझौता हुआ है, उसका सारा श्रेय चीन लूट रहा है। पिछले सात साल से ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध भंग हो चुके थे, क्योंकि सऊदी अरब में एक शिया मौलवी की हत्या कर दी गई थी। ईरान एक शिया राष्ट्र है। तेहरान स्थित सऊदी राजदूतावास पर ईरानी शियाओं ने जबरदस्त हमला बोल दिया था। सऊदी सरकार ने कूटनीतिक रिश्ता तोड़ दिया। इस बीच सऊदी अरब और ईरान पश्चिम एशियाई देशों के आंतरिक मामलों में एक-दूसरे के विरुद्ध हस्तक्षेप भी करते रहे। यमन, सीरिया, एराक और लेबनान जैसे देशों में एक-दूसरे के समर्थकों को सैन्...
दुबई में विदेश नीति का डंका

दुबई में विदेश नीति का डंका

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक दुबई के इस चार दिन के प्रवास में मेरा कुछ समय तो समारोहों में बीत गया लेकिन शेष समय कुछ खास-खास लोगों से मिलने में बीता। अनेक भारतीयों, अफगानों, पाकिस्तानियों, ईरानियों, नेपालियों, रूसियों और कई अरब शेखों से खुलकर संवाद हुआ। इस संवाद से पहली बात तो मुझे यह पता चली कि दुबई के हमारे प्रवासी भारतीयों में भारत की विदेश नीति का बहुत सम्मान है। हमलोग नरेंद्र मोदी और विदेश नीति की कई बार दिल्ली में कटु आलोचनाएं भी सुनते हैं लेकिन यहां तो उसका असीम सम्मान है। संयुक्त अरब अमारात के टीवी चैनलों और अखबारों का स्वर भी इस राय से काफी मिलता-जुलता है। पड़ोसी देशों के प्रमुख लोगों ने, इधर मैं जो दक्षिण और मध्य एशिया के 16 देशों का जन-दक्षेस नामक नया संगठन खड़ा कर रहा हूँ, उसमें भी पूर्ण सहयोग का इरादा प्रकट किया है। मुझे यह जानकर और भी अच्छा लगा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ प्र...