कविता और लोकजीवन का मार्गदर्शन
- ह्रदय नारायण दीक्षित
जीवन और जगत को प्रकट करने के दो माध्यम हैं। पहला प्रत्यक्ष भौतिक जगत है। यह विज्ञान सिद्ध है। इसकी व्याख्या का मुख्य उपकरण बुद्धि है। तर्क बड़ा हथियार है। लेकिन तर्क पर्याप्त नहीं है। जीवन आनंद का अनुभव तर्क से नहीं होता। महाभारत के यक्ष प्रश्नों में युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा था- 'जीवन मार्ग क्या है? युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था-' ऋषि अनेक हैं। वेद वचन भिन्न-भिन्न हैं। धर्म का मूल तत्व स्पष्ट नहीं है। यह अति गहरी गुहा में है। तर्क की प्रतिष्ठा नहीं है। जीवन जगत के अध्ययन का यह विवरण बुद्धिगत है।' युधिष्ठिर ने अंत में यक्ष से कहा-' महाजनो येन गता सपंथाः।'
महापुरुषों द्वारा बताया गया रास्ता ही सही मार्ग है। जीवन और संसार की व्याख्या का यह दृष्टिकोण भौतिक और संसारी है। लेकिन उसे समझने का दूसरा मार्ग भी है। यह मार्ग बौद्धिक नहीं है। अनुभूति और भा...