श्री गणेश: परिपक्वता के पौराणिक प्रतीक
- डॉ. राघवेंद्र शर्मा
भगवान श्री गणेश उपासना के इन दिनों विशेष दिन चल रहे हैं। ऐसे में यह हम सभी को समझना होगा कि आखिर क्यों अत्याधुनिक जीवन शैली के बीच भी भगवान श्री गणेश बेहद प्रासंगिक बने हुए हैं। नि:संदेह श्री गणेश प्रथम पूज्य देव तो हैं ही, साथ में उनका आचार व्यवहार और शारीरिक आकार हमें अनेक शिक्षाएं प्रदान करता है। आचार और व्यवहार की बात करें तो श्री गणेश अति महत्वाकांक्षी देवों में शुमार नहीं होते। वे बेहद संतोषी हैं और माता पिता को ही अपना इष्ट मानते हैं।
हमने बचपन में वह कथा तो सुनी ही होगी जब श्री गणेश और श्री कार्तिकेय जी की बौद्धिक परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों को ब्रह्मांड की परिक्रमा करने को कहा। इस पर कार्तिकेय जी पिता की आज्ञा को शिरोधार्य कर लक्ष्य की ओर निकल पड़े। किंतु श्री गणेश अपने संतोषी स्वभाव के अनुसार अविचलित बने रहे और बेहद सामान्य अवस्था क...