यह हर भारतीय के लिए गर्व का पल है
- अनुराग सिंह ठाकुर
यह मात्र संयोग हो सकता है, तो भी यह प्रत्येक भारतीय के लिए अत्यधिक संतोष की बात है कि भारत ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से अपनी स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरते हुए ब्रिटेन को ही पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि ऐसे समय में भी आई है, जब ब्रिटेन अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को समर्थन देने और बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिसने जीवनयापन की लागत को उस स्तर तक पहुंचा दिया है, जिसकी कल्पना यूके, यूरोप और पश्चिम ने कभी नहीं की थी। भारतीय अर्थव्यवस्था की लगातार आलोचना करने वाले अर्थशास्त्री इस बात से स्तब्ध हैं कि वे ब्रिटेन की और वास्तव में पश्चिम की अधिकांश चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाने में विफल रहे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का विचार है कि उनके लिए प्रचुरता से भरे दिन वास्तव में खत्म हो गए हैं ...