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सावन का महीना भाई-बहनों के प्रेम को प्रगाढ़ करने का पर्व: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सावन का महीना भाई-बहनों के प्रेम को प्रगाढ़ करने का पर्व: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि भारत त्यौहारों की संस्कृति वाला देश (India, festivals culture country) है। यहाँ हर एक त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई मूल भावना होती है। इन त्यौहारों में परस्पर भाईचारा, प्रेम और रिश्तों को निभाने वाले संस्कार समाहित होते हैं। वर्ष के 12 महीनों में एक मास श्रावण (month shravan) ही ऐसा है, जिसका इंतजार सभी को रहता है। इस समय बादलों के घुमड़ने के साथ ही पेड़ों पर झूलों की बहारे नजर आने लगती है। ऐसे में रक्षाबंधन का त्यौहार आता है। आज मैं अपनी लाड़ली बहनों (Dear sisters) के बीच रक्षाबंधन का उत्सव मनाकर धन्य हो गया हूं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव श्रावण के पवित्र सोमवार को बालाघाट के इतवारी गंज जैविक कृषि मंडी में आयोजित लाड़ली बहनों के लिये समर्पित आभार सह उपहार कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमार...
गुरु के सम्मान का पर्व है गुरु पुर्णिमा

गुरु के सम्मान का पर्व है गुरु पुर्णिमा

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- रमेश सर्राफ धमोरा गुरु शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है और इसका गहन आध्यात्मिक अर्थ है। इसके दो अक्षरों गुरु में गु शब्द का अर्थ है अज्ञान। रु शब्द का अर्थ है आध्यात्मिक ज्ञान का तेज जो आध्यात्मिक अज्ञान का नाश करता है। संक्षेप में गुरु वे हैं जो मानव जाति के आध्यात्मिक अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाते हैं और उसे आध्यात्मिक अनुभूतियां और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं । गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तृप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप...
राग-रंग और उत्सव का पर्व है वसंत पंचमी

राग-रंग और उत्सव का पर्व है वसंत पंचमी

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- रमेश सर्राफ धमोरा देश में पतझड़ के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है। हर तरफ रंग-बिरंगें फूल खिले दिखाई देते हैं। इस समय गेहूं की बालियां भी पक कर लहराने लगती हैं। उन्हें देखकर किसान हर्षित होते हैं। चारों ओर सुहाना मौसम मन को प्रसन्नता से भर देता है। इसीलिए वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु, कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की रचना की थी। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है। वसंत शब्द का अर्थ है वसंत और पंचमी का पांचवां दिन। इसलिये माघ महीने में जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तो इस महीने के पांचवें दिन यानी पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है। ज...
यमराज की पूजा का पर्व है धनतेरस

यमराज की पूजा का पर्व है धनतेरस

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- रमेश सर्राफ धमोरा धनतेरस का त्योहार लोगों के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए मनाया जाता है। दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है। धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोई बर्तन खरीदें। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दौरान अपने घर पर 13 दीये जलाना चाहिए और अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। जिसमें से सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम देवता के लिए और दूसरा धन की देवी मां लक्ष्मी के लिए जलाना चाहिए। इसी तरह दो दीये अपने घर के मुख्य द्वार पर एक दीया तुलसी महारानी के लिए एक दीया घर की ...
दस बुराइयों से मुक्ति पाने का पर्व है दशहरा

दस बुराइयों से मुक्ति पाने का पर्व है दशहरा

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- सुरेन्द्र किशोरी भारत विशाल देश है। इसकी भौगोलिक संरचना जितनी विशाल है, उतनी ही विशाल इसकी संस्कृति है। यह भारत की सांस्कृतिक विशेषता ही है कि सभी पर्व देश में एक जैसी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाए जाते हैं, भले ही उनके मनाने की विधि अलग हो। ऐसा ही पावन पर्व दशहरा है। इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा को मर्यादा पुरुषोत्तम राम द्वारा अत्याचारी राक्षसी प्रवृत्तियों के प्रतीक रावण के वध का स्मरण कर बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग दैत्याकार पुतले को फूंक कर तमाशे के उल्लास में अपने कर्तव्य पालन को सीमित रखते हैं। लोग यह भुला देते हैं कि अत्याचार और उत्पीड़न के साथ संघर्ष कभी समाप्त नहीं होता। रावण के दस सिर मात्र उसकी असाधारण बुद्धिमत्ता की याद नहीं दिलाते, वरन उन दस बुराइयों को गिनने के लिए हमें प्रेरित करते हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को दूभर बना रखा ...
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

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- योगेश कुमार गोयल आश्विन शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष ‘विजयादशमी’ का पर्व मनाया जाता है, जिसे दशहरा भी कहा जाता है। दशहरा इस वर्ष उदया तिथि के अनुसार 24 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। समस्त भारत में दशहरा भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध के रूप में अर्थात् बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में तथा आदि शक्ति दुर्गा द्वारा महाबलशाली राक्षसों महिषासुर व चण्ड-मुण्ड का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए इसी दिन प्रस्थान किया था। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि हिन्दू राजा अक्सर इसी दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे। इसी कारण इस पर्व को विजय के लिए प्रस्थान का दिन भी कहा जाता है और इसे क्षत्रियों का त्योहार भी माना गया है। इस दिन अपराजिता देवी की पूजा भी होती है। मान्यता है कि सर्वप्रथम श्रीराम ने समुद्र तट पर शारदीय नवरात्रि...
पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

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- डॉ. श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) प्रतिवर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाता है, जो आश्विन अमावस्या तक अर्थात 16 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और श्राद्ध पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों का भी कल्याण होता है। जो लोग पूरे श्राद्धपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान न कर पाए हों वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन बिहार के गयाजी में पिंडदान करने का सबसे ज्यादा महत्व है। इस साल आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण भी लग रहा है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ...
गणेश चतुर्थी: सामाजिक क्रान्ति का पर्व है गणेशोत्सव

गणेश चतुर्थी: सामाजिक क्रान्ति का पर्व है गणेशोत्सव

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- रमेश सर्राफ धमोरा भगवान गणेश हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं। गणेश चतुर्थी पर लोग पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के देवता की पूजा करते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी नए काम को प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के बाद प्रारंभ होने वाला कार्य हर हाल में पूरा होगा। भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश शब्द का अर्थ होता है जो समस्त जीव के ईश अर्थात् स्वामी हो। गणेश जी को विनायक भी कहते हैं। विनायक शब्द का अर्थ है विशिष्ट नायक। वैदिक मत में सभी कार्य के आरम्भ जिस देवता का पूजन से होता है वही विनायक है। गणेश चतुर्थी के पर्व का आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्त्व है। मान्यता है कि भगवान गणेश विघ्नों के नाश करने और मंगलमय वातावरण बना...
भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व

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- रमेश सर्राफ धमोरा रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक देश का एक प्रमुख त्योहार है। रक्षाबन्धन पर्व में रक्षासूत्र यानी राखी का सबसे अधिक महत्व है। इस पर्व के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं। इस दिन ब्राह्मण, गुरु द्वारा भी राखी बांधी जाती है। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बांधते समय पण्डित संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं। जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है। येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः तेन त्वाम प्रतिबद्धनामी रक्षे माचल माचलः इस श्लोक का अर्थ है जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं। तुम अपने संकल्प से कभी भ...