Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: farming

खेत, खेती और सेहत पर भारी रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग

खेत, खेती और सेहत पर भारी रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग खेत, खेती और सेहत पर भारी पड़ रहा है। देश में रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग को इसी से समझा जा सकता है कि आजादी के समय 1950-51 में देश में 7 लाख टन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग होता था। एक मोटे अनुमान के अनुसार आज देश में 335 लाख टन से अधिक रासायनिक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है। इसमें 75 लाख टन उर्वरकों का तो आयात करना पड़ रहा है। यूरिया से नाइट्रोजन चक्र प्रभावित होता है और उससे ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ने से पर्यावरण प्रभावित होता है। दरअसल समस्या की जड़ दूसरी ओर है और वह यह कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग के स्थान पर अंधाधुंध उपयोग से अधिक हालात खराब हुए हैं। देश में उर्वरकों की खपत का विश्लेषण किया जाए तो केन्द्र शासित प्रदेशों सहित 797 जिलों में से केवल ओर केवल 292 जिलों में ही देश में उर्वरकों की कुल खपत की 83 फीस...
MP: खेती के लिए पानी और बिजली की कमी न रहे, CM ने की समीक्षा

MP: खेती के लिए पानी और बिजली की कमी न रहे, CM ने की समीक्षा

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने अपने निवास कार्यालय में गुरुवार को प्रदेश में हो रही सामान्य से कम वर्षा (below normal rainfall) को देखते हुए आगामी माहों में सिंचाई के लिए पानी और बिजली की उपलब्धता (water and electricity availability) की समीक्षा (Review) की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बिजली के निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए। कहीं भी स्टाफ के अभाव में बिजली आपूर्ति प्रभावित न हो, इसके साथ ही कंट्रोल रूप व्यवस्था को भी हर समय सक्रिय रखा जाए। बैठक में आगामी माहों में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली की मांग और आपूर्ति प्रबंधन की विस्तार से जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में रबी सीजन में खेती के लिए पानी और बिजली की कमी न रहें। बैठक में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुख्य सच...
अर्थव्यवस्था की उड़ान में खेती का बड़ा योगदान

अर्थव्यवस्था की उड़ान में खेती का बड़ा योगदान

अवर्गीकृत
- शशिकान्त जायसवाल देशभर में उत्तर प्रदेश में पिछले छह वर्ष से विभिन्न क्षेत्रों में आए बदलाव की चर्चा हो रही है। खेती-किसानी के मामले में भी उत्तर प्रदेश दूसरे राज्यों की तुलना में कोसों आगे निकल चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन ने मल्टी सेक्टोरल क्षेत्रों को विकास की ओर डायवर्ट कर सस्टेनेबल और सर्वसमावेशी बनाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और उससे संबंधित सेक्टर को मजबूती मिली है। योगी सरकार का पहला बजट ही किसानों को समर्पित था। यहीं से उत्तर प्रदेश के कृषि अर्थव्यवस्था की ग्रोथ और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विकास यात्रा प्रारंभ हुई। इसका परिणाम है कि कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की ग्रोथ रेट आज अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास से राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26 फीसदी हुआ है। जबकि कृषि विकास दर स्थिर मूल्य पर वित्तीय...
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी खेती किसानी

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी खेती किसानी

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एक बात अब साफ हो गई है कि दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को खेती किसानी ही नई दिशा दे सकती है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध ने दो बातें साफ कर दी हैं कि औद्योगिकीकरण के बावजूद खेती किसानी की अपनी अहमियत है। जिस तरह से कोरोना महामारी के दौरान देश-दुनिया के लोगों का बड़ा सहारा खेती किसानी ही बनी, ठीक उसी तरह भुखमरी से जूझते देशों के साथ समग्र विश्व की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार खेती किसानी रह गई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि औद्योगीकरण समय की मांग है पर पिछले कुछ दशकों से औद्योगीकरण के नाम पर खेती-किसानी की जिस तरह से उपेक्षा हुई उसका परिणाम रहा कि गांव उजड़ते गए और शहर गगनचुंबी इमारतों में तब्दील होते गए। इसके साथ ही उद्योग-धंधों की प्राथमिकता के चलते कृषि क्षेत्र पर अपेक्षित ध्यान भी नहीं दिया गया। यह तो अन्नदाता की मेहनत का परिणाम रहा है कि देश में खाद...