हिंसक किसान आंदोलन के निहितार्थ
- आर.के. सिन्हा
मरने -मारने के अंदाज में किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। चुनाव माहौल गरम होते ही वे दिल्ली को घेरने के इरादे पर डट जाते हैं। पंजाब से दिल्ली आ रहे किसान हरियाणा में पुलिस से जगह-जगह पर बिना किसी बात के भिड़ रहे हैं। किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च हिंसक हो रहा है और अराजकता पैदा कर रहा है। यह सारा देश दिन भर टेलीविजन पर देख रहा है। सरकार से बातचीत करके कोई हल निकालने को किसान नेता मानने को तैयार तक नहीं हैं। वे तो चाहते हैं कि उनकी हरेक मांग को सरकार मान जाए। याद रखें कि किसानों की कुछ मांगों को मानना लगभग असंभव सा है। किसान नेता कह रहे हैं कि उनके 24 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ हो जाएं । सरकारें किसानों के बहुत सारे लोन समय-समय पर माफ करती भी रहती हैं। पर सारे लोन माफ करना नामुमकिन ही है। क्या पैसा पेड़ों में लगा है जिसे सरकार तोड़ कर किसानों को दे देगी? किसानों को ...