Friday, September 20"खबर जो असर करे"

Tag: faith

उज्जैनः आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी बनी भगवान महाकाल की सवारी

उज्जैनः आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी बनी भगवान महाकाल की सवारी

देश, मध्य प्रदेश
- डमरु वादन की मंगल ध्वनि से गुंजायमान हुई उज्जयिनी, बना विश्व रिकार्ड भोपाल (Bhopal)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर (World famous Jyotirlinga Lord Mahakaleshwar) की नगरी उज्जैन (Ujjain) में सावन मास के तीसरे सोमवार (Third Monday of Sawan month) शाम को भगवान महाकाल की तीसरी सवारी (Third ride of Lord Mahakal) आस्था, उत्साह और उमंग के साथ निकाली गई। इस दौरान भगवान महाकाल ने तीन स्वरूप में दर्शन दिए। बाबा महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर के रूप में, हाथी पर मनमहेश के रूप में व गरूड़ रथ पर शिव-तांडव स्वरूप में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना। इस दौरान 1500 डमरू वादकों ने एक साल डमरू बजाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया। सवारी निकलने के पूर्व दोपहर साढ़े तीन बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकाल का उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ...
आस्था के प्रतीक हैं खाटू के श्याम बाबा

आस्था के प्रतीक हैं खाटू के श्याम बाबा

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा देश में बहुत से ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो अपने चमत्कारों व वरदानों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हीं में से एक है राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले का विश्व विख्यात प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर। यहां फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को श्याम बाबा का विशाल वार्षिक मेला भरता है। इसमें हर साल देश-विदेश के करीब 30 लाख श्रद्धालु शामिल होते हैं। खाटू श्याम का मेला राजस्थान के बड़े मेलों में से एक है। इस मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की श्याम यानी कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है उन्हें श्याम बाबा का नित नया रूप देखने को मिलता है। कई लोगों को तो इस विग्रह में कई बदलाव भी नजर आते हैं। कभी मोटा तो कभी दुबला। कभी हंसता हुआ तो कभी ऐसा तेज भरा कि नजरें भी नहीं टिक पातीं। श्याम बाबा का धड़ से अलग शीष ...
हिन्दुत्व से सभी का विकास, सभी का विश्वास

हिन्दुत्व से सभी का विकास, सभी का विश्वास

अवर्गीकृत
- संजय तिवारी अभी केवल सात वर्ष ही हुए हैं। बीमार उत्तर प्रदेश अब विकसित उत्तर प्रदेश के रूप में एक अंतरराष्ट्रीय ब्रॉन्ड बन कर उभर रहा है। ब्रॉन्ड योगी जैसे सात्विक और सतत क्रियाशील नेतृत्व ने इस अति पिछड़े और माफियाओं की जकड़ में घुट रहे प्रदेश को आज ब्रॉन्ड यूपी बनाकर दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया है। विश्व की औद्योगिक, वाणिज्यिक और व्यापारिक संस्थाएं उत्तर प्रदेश को अपना कार्यक्षेत्र बना रही हैं। लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है और लाखों करोड़ की मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव पड़ रही है। 2017 के बाद 2024 का उत्तर प्रदेश अब बिलकुल अलग है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उस क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी और श्रम की उपलब्धता के साथ ही कानून व्यवस्था उत्तम हो। सामान्य जन सुरक्षित महसूस करें। कोई भी औद्योगिक इकाई या व्यापारिक गतिविधि तभी सफल होकर परिणाम दे सकती है। 2017 स...
अर्थव्यवस्था का आधार बन रहे आस्था व अध्यात्म

अर्थव्यवस्था का आधार बन रहे आस्था व अध्यात्म

अवर्गीकृत
- प्रदीप मिश्र अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ज्यों-ज्यों करीब आ रही है, वहां के अभ्युदय, आख्यान, आस्था और अध्यात्म के साथ-साथ आह्लाद और अर्थात पर चातुर्दिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। 2024 की जनवरी और विक्रम संवत 2080 का पुनीत पौष और फाल्गुन माह अयोध्या के दृष्टिकोण से सामाजिक चिंतन और राजनीतिक विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु बन चुका है। अर्थव्यवस्था के अंकगणित के पैमाने पर भी समग्र आयोजन और प्रयोजन को परखा जा रहा है। देश में 20 लाख से अधिक मंदिर हैं लेकिन इस समय सबकुछ राममय है। सबसे ज्यादा मंदिर तमिलनाडु में हैं, जहां की सरकार की ओर से सनातन धर्म पर उठाए गए सवालों का सटीक जवाब देने का समय संभवतः सन्निकट है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। अयोध्या, काशी और प्रयागराज में विकास...
छठ महापूजा है सूर्योपासना का महापर्व

छठ महापूजा है सूर्योपासना का महापर्व

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल आस्था और निष्ठा का अनुपम लोकपर्व 'छठ' उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला सूर्योपासना का महापर्व है। यह पर्व सूर्य, उनकी पत्नी उषा तथा प्रत्यूषा, प्रकृति, जल, वायु और सूर्य की बहन छठी मैया को समर्पित है। उषा तथा प्रत्यूषा को सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत माना गया है। इसीलिए छठ पर्व में सूर्य तथा छठी मैया के साथ इन दोनों शक्तियों की भी आराधना की जाती है। षष्ठी देवी को ही छठ मैया कहा गया है, जो निसंतानों को संतान देती हैं और संतानों की रक्षा कर उनको दीर्घायु बनाती हैं। पुराणों में पष्ठी देवी का एक नाम कात्यायनी भी है, जिनकी पूजा नवरात्र में षष्ठी को होती है। माना जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठी माता प्रसन्न होकर घर-परिवार में सुख-समृद्धि, रोगमुक्ति, सम्पन्नता और मनोवांछित फल प्रदान ...
लाड़ली बहना योजना जीवन बदलने का अभियान: शिवराज

लाड़ली बहना योजना जीवन बदलने का अभियान: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने 138 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों के किये भूमि-पूजन/लोकार्पण भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रदेश में शुरू की गई मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना (Chief Minister Ladli Behna Yojana) केवल योजना ही नहीं, बल्कि बहनों का जीवन बदलने का अभियान (Sister's life changing campaign) है। इस योजना ने महिलाओं को धनराशि दिलाने के साथ मन में विश्वास और आत्म-सम्मान भी बढ़ाया है। बेटी के बगैर जीवन-चक्र नहीं चल सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बालिका और महिला केन्द्रित महत्वाकांक्षी योजनाएँ मध्यप्रदेश सरकार ने शुरू की है। प्रदेश में इस योजना का लाभ एक करोड़ 25 लाख बहनों को मिल रहा है, जिनके बैंक खाते में प्रतिमाह की 10 तारीख को 1000 रुपये की राशि जमा कराई जा रही है। योजना के दूसरे चरण में 21 से 23 साल की बहनों का पंजीयन किया...
मीडिया और समाज : दरकता विश्वास

मीडिया और समाज : दरकता विश्वास

अवर्गीकृत
- प्रो संजय द्विवेदी पिछले दिनों देश के एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि किसी देश को लोकतांत्रिक रहना है, तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए। जब प्रेस को काम करने से रोका जाता है, तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता होता है। मुख्य न्यायाधीश ऐसा कहने वाली पहली विभूति नहीं हैं। उनसे पहले भी कई बार कई प्रमुख हस्तियां प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर मिलते-जुलते विचार सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त कर चुकी हैं। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, तो वह अकारण नहीं है। उसने समय-समय पर लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए बहुत काम किया है और इसके लिए बड़ी कीमत भी चुकाई है। इसके बदले उसे समाज का, लोगों का भरपूर विश्वास और सम्मान भी हासिल हुआ है। दुर्भाग्य से बीते दो-तीन दशकों में यह विश्वास लगातार...