भावना, शोषण और त्रासदी
- गिरीश्वर मिश्र
आज के जटिल तनावों के बीच साधारण आदमी मन की शांति भी चाहता है और अपनी तमन्नाओं को फलीभूत भी करना चाहता है। इन दोनों कामनाओं की पूर्ति के लिए वह भटकता रहता है। उस मनस्थिति में अगर कोई उठ कर हाथ थामने का स्वाँग भी भरे तो बड़ी राहत मिलती है। कुछ ऐसा ही हुआ जब भक्ति, समर्पण और जीवन में उत्कर्ष की आकांक्षा लिए निष्ठा के साथ इकट्ठा हुए श्रद्धालु भक्तों के हुजूम के बीच अचानक हुई भगदड़ के दौरान बीती दो जुलाई को सवा सौ लोगों को असमय ही अपनी जानें गंवानी पड़ी और बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए । यह विचलित कर देने वाला दुखद हादसा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर हाथरस के एक गांव में हुआ। यह मानवीय त्रासदी जनता, धर्म गुरुओं, उपदेशकों और जन-व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार सरकार सब के सामने कई तरह के सवाल छेड़ गई । आज इक्कीसवीं सदी के ज्ञान युग में विकसित भारत का दम भरने वाले, विश्व ...