भारतीय दर्शन और संस्कृति जैसी श्रेष्ठता कहीं नहीं
- अरुण कुमार दीक्षित
स्वामी विवेकानंद ने भारतीय दर्शन को दुनिया के देशों में प्रचारित किया। उन्होंने पूरे विश्व को यह सन्देश देने का प्रयास किया कि भारतीय दर्शन और संस्कृति जैसी श्रेष्ठता कहीं नहीं है। हम पूरी पृथ्वी पर एक श्रेष्ठतम राष्ट्र हैं। हम सभी सभ्यताओं का स्वागत करते हैं। हम गहन तमस से भरे विश्व को मार्ग दिखा सकते हैं। हम सब भारत के लोग एक गौरवशाली संस्कृति के वाहक हैं। हमारा सामना विश्व की भोग विलास में लिप्त संस्कृतियां नहीं कर सकती। हम भारत के लोग बर्बर नही हैं। हम भिन्न भाषा-भाषी संस्कृतियों, बोलियों को आत्मसात करते हुए चलते हैं। भारत की संस्कृति में हमेशा उच्चतम विचारों को प्राथमिकता दी गयी है। हम किसी को मतान्तरित कर अपनी संख्या नहीं बढ़ाते। हम युद्ध के माध्यम से साम्राज्य का विस्तार करने वाली संस्कृति के पुत्र नहीं हैं। हम पूरी दुनिया को परिवार मानने वाले हैं। हमारा राष्ट्र...