सावधान, रोजाना 1917 बुजुर्ग कोर्ट जाने को हो रहे मजबूर!
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
एक तरफ यह माना जा रहा है कि 2050 आते-आते देश का हर पांचवां नागरिक बुजुर्ग होगा तो दूसरी और बुजुर्गों के साथ असम्मान में दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हो रही है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में सात लाख बुजुर्गों ने अदालतों के द्वार खटखटाये हैं। इसका मतलब है कि एक दिन में करीब 1917 बुजुर्गों ने कोर्ट को अपना दुखड़ा बताया। इससे पहले अदालतों में बुजुर्गों द्वारा दर्ज कराए गए पांच साल से अधिक के 20 लाख से अधिक मामले न्याय में लंबित हैं। सवाल यह नहीं है कि अदालतों में कितने मामले लंबित हैं। सवाल यह भी नहीं है कि कितने समय से लंबित हैं। सवाल यह भी नहीं है कि अदालतों में बुजुर्गों से संबंधित मामलों के निर्णय में क्यों देरी हो रही है? सीधा और सौ टके का सवाल यह है कि समाज में बुजुर्गों के प्रति असम्मान में क्यों बढ़ोतरी हो रही है। केवल और केवल एक साल में सात लाख म...