भारत में पर्यावरण संकट और समाज की भूमिका
- अजय दीक्षित
हमने प्रकृति से जो खिलवाड़ किया है उसी का परिणाम हमारे सामने है । प्रकृति ने हमें पेड़, पौधे और हरियाली दी। पशु-पक्षी दिए, लेकिन हमने पेड़-पौधों को काटकर कंक्रीट का जंगल बना लिया। जहां पेड़ नहीं तो चिड़िया की चहचहाहट और कोयल की कूक होने का सवाल ही कहां उठता है। लेकिन समझदार कहलाने वाले मनुष्य ने प्लास्टिक के पेड़ और घर में कोयल की आवाज वाली डोर बेल लगाकर ऐसा दिखने की कोशिश की मानों कुछ हुआ ही न हो।
पेड़ों की ठंडी छांव की कमी दूर करने के लिए हमने वातानुकूलित संयंत्रों का सहारा तो लिया लेकिन यह तमाम एसी भी तो तापमान में वृद्धि करने का कारण बन रहे हैं। आज 45 से 49 डिग्री सेल्सियस तापमान को 55 से 60 होने में देर नहीं लगेगी। इसलिए हम सभी को अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने के नारे और कागजी बातें छोड़कर न केवल धरा पर पौधे लगाने चाहिए बल्कि उनकी सतत निगरानी भी करनी होगी। एक पौधे को बड...