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पर्यावरण हितैषी वाहन है साइकिल

पर्यावरण हितैषी वाहन है साइकिल

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- रमेश सर्राफ धमोरा भारत की आर्थिक तरक्की में साइकिल ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। आजादी के बाद से ही साइकिल देश में यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही है। खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे किफायती साधन था। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे। दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही होती थी। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल के बूते चलता था। आज भी पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं। चीन के बाद आज भी भारत दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिल बनाने वाला देश है। दो सौ साल पहले 12 जून 1817 को जर्मनी के मैनहेम में बैरन कार्ल वॉन ड्रैस ने दुनिया की पहली साइकिल पेश की थी। यह लकड़ी से बना था और इसमें पैडल, गियर या जंजीर नहीं थी। उसने खुद को ...
पर्यावरण अनुकूल हरित कृषि के लिए अभिनव नैनो उर्वरक

पर्यावरण अनुकूल हरित कृषि के लिए अभिनव नैनो उर्वरक

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- डॉ. मनसुख मांडविया देश की 1.4 बिलियन आबादी को अनाज की उपलब्धता हो, इसके लिए खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने की आवश्यकता है। उर्वरक, कृषि उत्पादन को बढ़ाने के महत्वपूर्ण इनपुट में से एक है। पिछले नौ वर्षों में हमारे प्रयासों के फलस्वरूप यूरिया की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है, जो नाइट्रोजन (एन) स्रोत का एक प्रमुख उर्वरक है। यूरिया उत्पादन बढ़कर 283.74 एलएमटी/वर्ष हो गया है, जो 2013-14 के 207.54 एलएमटी/वर्ष की तुलना में बड़ी छलांग है। इसी प्रकार, उर्वरक उद्योग (सार्वजनिक, सहकारी और निजी कंपनियों समेत) भी फॉस्फेट (पी) और पोटाश (के) आधारित उर्वरकों के अन्य प्रमुख पोषक तत्वों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। सतत कृषि के लिए एनपीके उर्वरकों का संतुलित उपयोग आवश्यक है। हालांकि, फसल उत्पादकता बढ़ाने और लगातार बढ़ती आबादी को खाद्यान्न उपलब्ध कराने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उर्वरक...
सड़क निर्माण में पर्यावरण मित्र समझ जरूरी

सड़क निर्माण में पर्यावरण मित्र समझ जरूरी

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- कुलभूषण उपमन्यु इस साल जुलाई के दूसरे सप्ताह में ब्यास घाटी में आई भयानक बाढ़ ने पूरे प्रदेश को हिला दिया। हजारों करोड़ रुपये की आर्थिक हानि के साथ 100 से ज्यादा निरपराध लोग काल का ग्रास बन गए। आवागमन के साधनों के चौपट हो जाने और आसन्न खतरे की चिंताओं ने जन सामान्य के जीवन को सदमे जैसी स्थिति में ला खड़ा कर दिया। सैकड़ों आशियाने ध्वस्त हो गए। इस विभीषिका को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग उठी। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहनमंत्री नितिन गडकरी हिमाचल प्रदेश में हुई तबाही का जायजा लेने ब्यास घाटी के दौरे पर आए। उनसे प्रदेश की जनता को बहुत उम्मीद थी कि वे अवश्य पूरी परिस्थिति का आकलन करने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाने की पहल करेंगे जिससे हिमालय क्षेत्र में सड़क निर्माण में पर्यावरण मित्र समझ का समावेश हो सकेगा ताकि आगे चल कर हिमालयी क्षेत्रों में अवैज्ञानिक रूप से बनाई जा रही सड़कों को उपयुक्त तक...