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रेडियो की खनक सदैव रहेगी बरकरार?

रेडियो की खनक सदैव रहेगी बरकरार?

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- डॉ. रमेश ठाकुर इसमें दो राय नहीं कि सूचना-मनोरंजन की पारंपरिक उपाधि सदैव रेडियो के हिस्से ही रहेगी। आज का दिन रेडियो के लिए खास है। क्योंकि समूचा संसार आज ‘विश्व रेडियो दिवस’ मना रहा है। रेडियो की अहमियत मानव जीवन से कितना वास्ता रखती है, जिसका अंदाज मौजूदा वर्ष-2024 की थीम से लगा सकते हैं। इस बार की थीम ‘सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी’ रखी गई है जिसका उद्देश्य रेडियो के उल्लेखनीय अतीत, प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य पर व्यापक प्रकाश डालना। ये सच है कि सूचना यो मनोरंजन विधाओं में चाहे कितने ही साधन क्यों न उपलब्ध जाएं। पर, रेडियो की अहमियत और उसकी प्रासंगिकता कभी भी कम नहीं होगी। विश्व रेडियो दिवस सालाना 13 फरवरी को मनाया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे यूनेस्को ने अपने 36 वें वार्षिक सम्मेलन से मनाने का निर्णय लिया था। 13 फरवरी ही वह तारीख थी जो 194...
विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

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- योगेश कुमार गोयल 'ब्लैक ऐंड व्हाइट' बुद्धू बक्सा (टेलीविजन) अपने सहज प्रस्तुतिकरण के दौर से गुजरते हुए कब आधुनिकता के साथ कदमताल करते हुए सूचना क्रांति का सबसे बड़ा हथियार और हर घर की अहम जरूरत बन गया, पता ही नहीं चला। यह दुनिया-जहान की खबरें देने और राजनीतिक गतिविधियों की सूचनाएं उपलब्ध कराने के अलावा मनोरंजन, शिक्षा तथा समाज से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं को उपलब्ध कराने, प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समूचे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करने वाला एक सशक्त जनसंचार माध्यम है। यह संस्कृतियों और रीति-रिवाजों के आदान-प्रदान के रूप में मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन है, जो तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए पूरी दुनिया के ज्ञान में असीम वृद्धि करने में मददगार साबित हो रहा है। मानव जीवन में टीवी की बढ़ती भूमिका तथा इसके सकारात्मक और नकारात्...
वर्ल्ड वाइड वेब दिवस: इंटरनेट की मायावी दुनिया

वर्ल्ड वाइड वेब दिवस: इंटरनेट की मायावी दुनिया

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- योगेश कुमार गोयल इंटरनेट ज्ञान और मनोरंजन का ऐसा खजाना है, जिसके माध्यम से किसी एक कोने में बैठे हुए ही आप दुनिया भर की सैर कर सकते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि इंटरनेट के माध्यम से विश्वभर की हर प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियों को एक छोटे से बंद कमरे में रखे कम्प्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन पर समेटकर ला देने वाला मूल मंत्र WWW (वर्ल्ड वाइड वेब) आज हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा है। यही शब्द प्रतिदिन दुनियाभर में करोड़ों कम्प्यूटरों पर असंख्य बार टाइप किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू’ नामक इंटरनेट की मायावी दुनिया में प्रवेश कराने वाली यह खिड़की कब और कैसे अस्तित्व में आई? वर्ष 1989 में ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू’ नामक इस मायावी शब्द को जन्म दिया था ऑक्सफोर्ड के क्वींस कॉलेज से ग्रेजुएशन कर चुके टिम बर्नर्स ली ने। वर्तमान में वेबपेज से जुड़ने या उस...
विश्व कठपुतली दिवस: मनोरंजन करती कठपुतलियां

विश्व कठपुतली दिवस: मनोरंजन करती कठपुतलियां

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- रमेश सर्राफ धमोरा हम हर साल 21 मार्च को विश्व कठपुतली दिवस मनाते हैं। इसका उद्देश्य कठपुतली को वैश्विक कला के रूप में मान्यता देना है। यह दुनिया भर के कठपुतली कलाकारों का सम्मान करने का एक प्रयास भी है। एक समय कठपुतली को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम समझा जाता था। आज कठपुतली कला मनोरंजन के साथ लोगों को जागरूक भी कर रही है। प्राचीनकाल से ही जादू टोनों एवं कुदरती प्रकोपों से बचने के लिए मानव जीवन में पुतलों का प्रयोग होता रहा है। भारत में ही नहीं बल्कि अन्यत्र भी काष्ठ, मिट्टी व पाषाण से निर्मित ये पुतले जातीय एवं पारिवारिक देवताओं के रूप में प्रतिष्ठित होते रहे हैं। कठपुतलियों का इतिहास बहुत पुराना है। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पाणिनी की अष्टाध्यायी के नटसूत्र में पुतला नाटक का उल्लेख मिलता है। कुछ लोग कठपुतली के जन्म को लेकर पौराणिक आख्यान का जिक्र करते हैं कि शिवजी ने काठ की मूर्ति में प्र...