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चासनाला त्रासदी की टीस… आपातकाल और काला पत्थर

चासनाला त्रासदी की टीस… आपातकाल और काला पत्थर

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- मुकुंद भारतीय इतिहास में वर्ष 1975 हर साल दो 'बड़ी' घटनाओं के लिए याद किया जाता है। एक आपातकाल। दूसरा चासनाला कोयला खान त्रासदी। झारखंड (तबके बिहार का भू-भाग ) के कोयलांचल धनबाद में हर साल चासनाला खान दुर्घटना की टीस उठती है। हर साल हजारों आंसू गिरते हैं...। चासनाला शहीद स्मारक में कालकलवित 375 मजदूरों को श्रद्धांजलि देकर एशिया की बड़ी खान दुर्घटनाओं में से एक के जख्म फिर हरे हो जाते हैं। ...और आंख बंद करते ही इस त्रासदी पर बनी फिल्म 'काला पत्थर' ( 24 अगस्त, 1979) का नायक अमिताभ बच्चन सामने आने लगता है। समूचे देश के लिए वो डरावनी तारीख 27 दिसंबर, 1975 है। चासनाला कोलियरी की डीप माइंस खान में जल प्लावन से इन मजदूरों की जिंदगी दफन हो गई थी। इस जल प्लावन से कोयलांचल ही नहीं, पूरा देश दहल उठा था। आज (बुधवार) फिर शहीद स्मारक में इनकी बरसी पर वेदी के पास सर्व धर्म सभा कर फूल चढ़ाए जाएंगे...
इंदिरा का आपातकाल और लोकनायक जेपी

इंदिरा का आपातकाल और लोकनायक जेपी

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- मृत्युंजय दीक्षित भारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ जब देश विदेशी सत्ता के अधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे और पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विसकांसन विवि में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियंत्रित करने के लिए खेतों व रेस्टोरेंट में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होनें एमए की डिग्री प्राप्त की। इसी बीच उनकी माता जी का स्वास्थ्य काफी बिगड़ने लगा जिसके कारण वे अपनी पढ़...
आपातकालः लोकतंत्र पर जबरदस्त आघात

आपातकालः लोकतंत्र पर जबरदस्त आघात

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- सुरेश हिंदुस्थानी सत्ता की ताकत का दुरुपयोग कैसे किया जाता है, इसका उदाहरण कांग्रेस सरकार द्वारा 1975 में देश पर तानाशाही पूर्वक लगाया गया आपातकाल है। जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार ही समाप्त कर दिया था। इसे एक प्रकार से देश की आजादी को छीनने का दुस्साहसिक प्रयास भी माना जा सकता है। क्योंकि इंदिरा शासन द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल में सरकार के विरोध में आवाज उठाने को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। यहां तक कि सरकार ने विपक्ष की राजनीति करने वालों के साथ ही उन समाजसेवियों और राष्ट्रीय विचार के प्रति समर्पित उन संस्थाओं के व्यक्तियों को जेल में ठूंस दिया था, जो सरकार की कमियों के विरोध में लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठा रहे थे। सरकार के इस कदम को पूरी तरह से अलोकतांत्रिक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इंदिरा गांधी की सरकार ने अपनी सरकार के खिलाफ उठने वाली हर उस आवाज को दबान...
आपातकाल आधुनिक इतिहास की सबसे भयावह त्रासदी

आपातकाल आधुनिक इतिहास की सबसे भयावह त्रासदी

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत में संविधान का शासन है। संविधान निर्माताओं ने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका में खूबसूरत अधिकार विभाजन किए हैं। लेकिन आपातकाल आधुनिक इतिहास में संविधान को तहस-नहस करने की भयावह त्रासदी है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आज से 48 वर्ष पूर्व (25 जून 1975) पूरे देश को कैदखाना बना दिया था। संविधान (अनुच्छेद 352) में वाह्य आक्रमणों और देश के भीतर गंभीर आतंरिक अशांति के आधार पर आपातकाल घोषित करने की व्यवस्था थी। लेकिन तब देश में कोई आतंरिक अशांति नहीं थी। प्रधानमंत्री स्वयं आतंरिक अशांति से पीड़ित थीं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 जून 1975 को उनका संसदीय चुनाव अवैध घोषित कर दिया था। न्यायालय के अनुसार वे अनुचित साधनों द्वारा चुनाव जीती थीं। रायबरेली (उत्तर प्रदेश) की उनकी संसदीय सीट रिक्त घोषित कर दी गई थी। सत्ता पक्ष का एक धड़ा और संपूर्ण विपक्ष त्य...
आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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- डॉ. सौरभ मालवीय आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है। आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु हर वर्ष जून मास आते ही इसका स्मरण ताजा हो जाता है। इसके साथ ही आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी स्मरण हो जाती है। संघ ने आपातकाल का कड़ा विरोध किया था। संघ के हजारों कार्यकर्ता जेल गए थे एवं बहुत से कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिया था। उल्लेखनीय है कि 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया था कि इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में अनुचित तरीके अपनाए। न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया था। इंदिरा गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली से उनके प्रतिद्वंद्वी राज नारायण थे। यद्यपि चुनाव परिणाम में इंदिरा गांधी को विजयी घोषित किया गया था। किन्तु इस चुनाव में पराजित हुए राज नारायण चुनावी प्रक्रिया ...
आर्थिक संकट जूझ रहे श्रीलंका में फिर लगी इमरजेंसी, एक सप्ताह में दूसरी बार हुआ ऐसा

आर्थिक संकट जूझ रहे श्रीलंका में फिर लगी इमरजेंसी, एक सप्ताह में दूसरी बार हुआ ऐसा

विदेश
कोलंबो । भयावह आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका में आज (सोमवार) से फिर आपातकाल लगा दिया गया। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने यह आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि आर्थिक संकट को देखते हुए कानून व्यवस्था और आवश्यक वस्तुओं की सुचारू आपूर्ति के लिए 18 जुलाई से आपातकाल लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 13 जुलाई को तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ भारी बवाल और जनाक्रोश भड़कने पर श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया था। गोटाबाया राजपक्षे के श्रीलंका से भागने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। इसके बाद आपातकाल हटा दिया गया था। अब एक सप्ताह में दूसरी बार आपातकाल लगा दिया गया है। श्रीलंका में पिछले करीब छह महीने से कंगाली छायी हुई है। सरकारी खजाना खाली है। आवश्यक वस्तुओं व ईंधन की भारी किल्लत है। जनता पूर्ववर्ती राजपक्षे सरकार पर भ्रष्टाचार का आ...