Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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बदलते सामाजिक परिवेश से डिमेंशिया की गिरफ्त में आ रहे हैं बुजुर्ग

बदलते सामाजिक परिवेश से डिमेंशिया की गिरफ्त में आ रहे हैं बुजुर्ग

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा जैसे-जैसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ने लगी है वैसे ही डिमेंशिया की बीमारी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। बहुत कुछ आज की सामाजिक व्यवस्था व सामाजिक परिवेश डिमेंशिया का कारण बनता जा रहा है। एक ओर एकल परिवार, अपने में खोये रहना और दिन-प्रतिदिन की भागमभाग है तो दूसरी और पढ़ने-पढ़ाने की आदत कम होना, प्रमुख कारण है। गूगल गुरु ने तो सबकुछ बदल कर ही रख दिया है। दुनिया में डिमेंशिया प्रभावितों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो अगले 25 साल में डिमेंशिया की रोगियों की संख्या में तीन गुणा बढ़ोतरी हो जाएगी। डिमेंशिया खासतौर से बुजुर्गां की होने वाली बीमारी है। इसमें मनोभ्रांति की स्थिति हो जाती है और भूलने या निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। इसमें बुजुर्ग धीरे-धीरे अपनी याददाशत को खोने लगते हैं। भारत के संदर्भ में यह इसलिए गंभीर ...
वृद्धजनों का करें मान-सम्मान

वृद्धजनों का करें मान-सम्मान

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- डॉ. सौरभ मालवीय जीवन के कई चक्र हैं। जैसे-बाल्यकाल, यौवनकाल, प्रौढ़काल एवं वृद्धकाल। वृद्धावस्था में मनुष्य कमजोर हो जाता है। यहां तक की सुनने एवं देखने की शक्ति के साथ स्मरण शक्ति तक क्षीण हो जाती है। ऐसे समय में वृद्धजनों को अपने परिवार के प्रेम की और विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। परिवार का साथ न मिले तो वे टूट जाते हैं। दुर्भाग्यवश यदि उन्हें परिवार के लोगों के द्वारा प्रताड़ित होना पड़े, तो जीवन नारकीय बन कर रह जाता है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रकाबगंज के रहने वाले 82 वर्षीय रामेश्वर प्रसाद हाथों में यूरिन का बैग लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं। उनके दो युवा पुत्र और चार पुत्रियां हैं। किन्तु उनकी कोई भी संतान उनकी देखभाल नहीं करना चाहती है। उनकी दयनीय स्थिति देखकर वन स्टॉप सेंटर ने उन्हें सरोजनी नगर स्थित सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान पहुंचाया है। देश में रामेश्वर प्रसाद जैसे हजारों वृद्ध...