कौन निकालता है बुजुर्गों को अपने घरों से बाहर
- आर.के. सिन्हा
राजधानी दिल्ली का पॉश ग्रेटर कैलाश इलाका। यहां समाज के सबसे सफल, असरदार और धनी समझे जाने वाले लोग ही रहते हैं। बड़ी-बड़ी कोठियों के उनके अंदर-बाहर लग्जरी कारें खड़ी होती हैं। लगता है, मानो इधर किसी को कोई कष्ट या परेशानी नहीं है। पर यह पूरा सच नहीं है। अभी हाल ही में यहां के एक बुजुर्गों के बसेरे, जिसे वृद्धाश्रम या एज ओल्ड होम भी कहते हैं, में आग लगने के कारण क्रमश: 86 और 92 वर्षों के दो वयोवद्ध नागरिकों की जान चली गई। जरा सोचिए, कि इस कड़ाके की सर्दी में उन्होंने कितने कष्ट में प्राण त्यागे होंगे। इस वृद्धाश्रम में रहने वाले हरेक व्यक्ति को हर माह सवा लाख रुपये से अधिक देना होता है। यानी यहां पर सिर्फ धनी-सम्पन्न परिवारों के बुजुर्गों को ही रख सकते हैं। अफसोस कि इन बुजुर्गों को इनके घर वालों ने इनके जीवन के संध्याकाल में घर से बाहर निकाल दिया। यह कहानी देश के उन लाखों बु...