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दक्षिण अफ्रीका से लाए गए ‘सूरज’ ने भी तोड़ा दम, चार महीने में आठ चीतों की गई जान

दक्षिण अफ्रीका से लाए गए ‘सूरज’ ने भी तोड़ा दम, चार महीने में आठ चीतों की गई जान

देश, मध्य प्रदेश
- कूनो के जंगल में बसाए गए चीतों की मौत का सिलसिला नहीं थमा, चार दिन में दूसरी मौत भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाकर बसाए गए चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक और चीते की मौत हो गई। दक्षिण अफ्रीका से लाया गया नर चीता "सूरज" शुक्रवार सुबह कूनो के जंगल में मृत पाया गया। इसे 25 जून को कूनो के बड़े बाड़े से जंगल में छोड़ा गया था। कूनो में मार्च से अब तक बीते चार महीनों में कुल आठ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि चार दिन में यहां दूसरे चीते ने दम तोड़ा है। प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने सूरज की मौत होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाये गये नर चीता सूरज मृत अवस्था में पाया गया। शुक्रवार को चीता निगरानी दल द्वारा सुबह 6.30 बजे पालपुर पूर्व परिक्षेत्र के मसावनी बीट में...

सत्तर साल बाद भारत में दौड़ेंगे चीते

अवर्गीकृत
- मुकुंद आजादी का अमृत महोत्सव भारत के जंगल में मंगल लाने वाला है। सत्तर साल बाद यहां की आबोहवा में चीता आबाद होने जा रहे हैं। भारत और नामीबिया के बीच 20 जुलाई, 2022 को हुए समझौते ने वन्यजीव विशेषज्ञों की उत्सुकता बढ़ा दी है। अगर कोई अड़चन नहीं आई तो दोनों देशों की सरकारों के बीच पहले अंतर महाद्वीपीय स्थानान्तरण के तहत 15 अगस्त को नामीबिया से आठ चीते (चार मादा, चार नर) भारत आ रहे हैं। इस योजना पर लगभग 224 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इन चीतों को मध्य प्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा। चीता प्रोजेक्ट के लिए इंडियन ऑयल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को 50.22 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है। 1952 में चीता को देश में विलुप्त घोषित किया गया था। इन चीतों को नामीबिया से लाने की राह लखनऊ में हुए एक शोध ने आसान की है। बीरबल साहनी पुरा विज्ञान ...