Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: education

भारत विश्व शक्ति कैसे बने?

भारत विश्व शक्ति कैसे बने?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत की सरकारों से मेरी शिकायत प्रायः यह रहती है कि वे शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम क्यों नहीं उठाती हैं? कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने छोटे-मोटे कुछ कदम इस दिशा में जरूर उठाए पर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2018 में आयुष्मान बीमा योजना से देश के करोड़ों गरीब लोगों को राहत मिल रही है। यह योजना सराहनीय है। मगर इस देश का स्वास्थ्य मूल रूप से सुधरे, इसकी कोई तदबीर आज तक सामने नहीं आई है। फिर भी इस योजना से देश के लगभग 40-45 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। वे अपना 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करवा सकेंगे। उनके इलाज का पैसा सरकार देगी। अभी तक देश में लगभग 3 करोड़ 60 लाख लोग इस योजना के तहत अपना मुफ्त इलाज करवा चुके हैं। उन पर सरकार ने अब तक 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है। देश की कुछ राज्य सरकारों ने भी राहत की इस रणनीति को अपना लिया...
हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई एक सामाजिक क्रांतिः शिवराज

हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई एक सामाजिक क्रांतिः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
-"एक दीपक हिन्दी के नाम" कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रदेश में 16 अक्टूबर से एमबीबीएस की पढ़ाई हिन्दी (MBBS study Hindi) में होगी। यह एक सामाजिक क्रांति (social revolution) है। अब गरीब, मध्यम वर्गीय और किसान के बेटा-बेटी भी हिन्दी में पढ़ाई कर सकेंगे। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) इस दिन एक नया इतिहास (creates a new history) रचने जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को पूरा करने की दिशा में मध्य प्रदेश आगे बढ़ रहा है। मध्य प्रदेश मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी भाषा में कराने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। मुख्यमंत्री चौहान शनिवार शाम को रोशनपुरा चौराहे पर “एक दीपक हिन्दी के नाम” कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर हिन्दी को समर्पित किया। इस मौके भाजपा के संगठन म...

शिक्षा में क्रांति की आशा?

अवर्गीकृत
- डॉ वेदप्रताप वैदिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने आज आशा जताई है, यह कहकर कि विभिन्न विषयों की लगभग 1500 अंग्रेजी पुस्तकों का अनुवाद शिक्षा मंत्रालय भारतीय भाषाओं में करवाएगा और यह काम अगले एक साल में पूरा हो जाएगा। यदि देश के सारे विश्वविद्यालयों को इस काम में जुटा दिया जाए तो 1500 क्या, 15 हजार किताबें अपनी भाषा में अगले साल तक उपलब्ध हो सकती हैं। हमारे करोड़ों बच्चे यदि अपनी मातृभाषा के माध्यम से पढ़ेंगे तो वे अंग्रेजी रटने की मुसीबत से बचेंगे, अपने विषय को जल्दी सीखेंगे और उनकी मौलिकता का विकास भी भलीभांति होगा। भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन अंग्रेजी की गुलामी हमारी शिक्षा, सरकार, अदालत और व्यापार में भी सर्वत्र ज्यों की त्यों चली आ रही है। इस गुलामी को चुनौती देने का अर्थ यह नहीं है कि हमारे बच्चे अंग्रेजी न सीखें या अंग्रेजी पढ़ने और बोलने को हम पाप समझने ...