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भारतीय शिक्षा परंपरा और शिक्षक

भारतीय शिक्षा परंपरा और शिक्षक

अवर्गीकृत
- हृदयनारायण दीक्षित सर्वोत्तम हमारी सर्वोत्तम मनोकामना है। सर्वोत्तम हमारी गहन अभिलाषा है। यही अभिलाषा भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होती है। प्रतिस्पर्धा में प्रथम होने की इच्छा। धनसंग्रही होने की अभिलाषा। लोकसंग्रही होने की आकांक्षा और यश अभीप्सा। शिक्षा हमारे उत्तम को उभारती है और सर्वोत्तम में प्रकट करती है। लेबनानी चिन्तक खलील जिब्रान की सुंदर पुस्तक है- ‘प्राफेट’। लिखा है, “शिक्षक ने पूछा कि शिक्षा के विषय में बताओ। उसे बताया गया। कोई व्यक्ति तुम्हारे सामने वही उद्घाटित कर सकता है जो तुम्हारे भीतर हो।” शिक्षा हमारे ही सुप्त ज्ञान प्राप्ति का उपकरण है। ज्ञान के लिए चाहिए गुरू। तुलसीदास ने गाया है-“बिन गुरू होंहि कि ज्ञान”? इसी तरह शिक्षा के लिए शिक्षक की महत्ता है और ज्ञान के लिए गुरू की। शिक्षा का शिखर सर्वोत्तम ज्ञान है। ज्ञान का प्रारम्भिक चरण शिक्षा है। शिक्षक का शिखर विकास गुरूत...