भारत में भारतीय होना चाहिए शिक्षा का मॉडल
- डॉ. नितिन सहारिया
भारतीय संस्कृति मूल्य आधारित संस्कृति है। मूल्यों को धारण करने के कारण ही मानव के अंदर मानवीयता का आभास होता है। मूल्य ही दो पैर- दो हाथ वाले प्राणी मनुष्य को मनुष्यत प्रदान करते हैं अन्यथा वह पशुवत है। मूल्य मानवता का आधार हैं। मूल्य की मनुष्य के अंदर स्थापना होने से मनुष्ययत्व की गरिमा बढ़ती है। मूल्य मानवता के प्राण हैं। मूल्य विहीन मनुष्य का जीवन बगैर खुशबू के पुष्प की तरह से निरर्थक है। अतः इन मूल्यों को धारण करने के कारण भारतीय संस्कृति में वैश्विकता, निरंतरता, जीवंतता, श्रेष्ठता, शाश्वतता, आध्यात्मिकता की अनुभूति होती है, जो इसे वैश्विक संस्कृति Global culture बनाते हैं। भारतीय संस्कृति के मूल्य सार्वभौमिक हैं।
मूल्य वे तत्व या गुण हैं जो मानवीय आचरण में श्रेष्ठता, विशिष्टता, दिव्यत्व, उत्कृष्टता को प्रदर्शित करते हैं। मानव के व्यक्तित्व को सुगंध, दिव्य आचर...