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भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित शिक्षा की जरूरत

भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित शिक्षा की जरूरत

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- डॉ. सौरभ मालवीय शिक्षा को लेकर समय-समय पर अनेक प्रश्न उठते रहते हैं, जैसे कि शिक्षा पद्धति कैसी होनी चाहिए? पाठ्यक्रम कैसा होना चाहिए? विद्यार्थियों को पढ़ाने का तरीका कैसा होना चाहिए? वास्तव में स्वतंत्रता से पूर्व देश में अंग्रेजी शासन था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा एवं आवश्यकता के अनुसार शिक्षा पद्धति लागू की। उनका उद्देश्य भारतीयों को शिक्षित करना नहीं था, अपितु उनका उद्देश्य केवल अपने लिए क्लर्क तैयार करना था। देश की स्वतंत्रता के पश्चात स्वदेशी सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। स्वतंत्रता के पश्चात देश में बहुत से कार्य करने थे। संभव है कि इस कारण इस ओर ध्यान नहीं गया हो अथवा उस समय के लोगों को अंग्रेजी शिक्षा पद्धति उचित लगी हो। कारण जो भी रहा हो, देश में अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से ही पढ़ाई होती रही। कुछ दशकों पूर्व देश में नई शिक्षा पद्धति की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी तथा इस पर ...
राष्ट्रीय बजट में शिक्षा को वरीयता मिले

राष्ट्रीय बजट में शिक्षा को वरीयता मिले

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- गिरीश्वर मिश्र शिक्षा की बहुआयामी और बहुक्षेत्रीय भूमिका से शायद ही किसी की असहमति हो । यह मानव निर्मित सबसे प्रभावी और प्राचीनतम हस्तक्षेप है जो जीवन और जगत को बदलता चला आ रहा है । समाज के अस्तित्व, संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षा जैसा कोई सुनियोजित उपाय नहीं है । इसीलिए हर देश में शिक्षा में निवेश वहां की अर्थव्यवस्था का एक मुख्य मद हुआ करता है । आज ज्ञान -विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विश्व में अग्रणी राष्ट्र अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दे रहे हैं । वे शिक्षा की गुणवत्ता को समृद्ध करने के लिए लगातार सक्रिय रहते हैं और शिक्षा की तकनीकी को उन्नत करते रहते हैं । देश, काल और परिस्थिति की बनती-बिगड़ती मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के कलेवर में बदलाव उनके लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । साथ ही शिक्षा की सुविधा और प्रक्रिया पूरे समाज के लिए लगभग एक जैसी व्यवस्था स...
शिक्षा को ध्यान की दरकार है

शिक्षा को ध्यान की दरकार है

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- गिरीश्वर मिश्र देश के सामर्थ्य के लिए शिक्षा का महत्व सभी जानते हैं, मानते हैं और बखानते हैं। समकालीन चर्चाओं में ‘युवा भारत’ की भूमिका सभी लोग दुहराते हैं और “डेमोग्रेफिक डिविडेंड” की बातें करते नहीं थकते। चुनावी घमासान में सबने एक स्वर से देश को आगे ले जाने की क़समें खाईं थीं किंतु शिक्षा की प्रासंगिकता तथा रोज़गार के लिए शिक्षा के महत्व को लेकर लगभग सभी मौन ही धारण किए रहे। वे इसकी स्थिति से से संतुष्ट थे या फिर थक हार कर यह मान चुके हैं कि इस सिलसिले में कुछ भी मुमकिन नहीं है। मंहगाईं, बेरोज़गारी, आरक्षण की सख़्त ज़रूरत, पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते और भारतीय संविधान की सुरक्षा जैसे भारी भरकम मुद्दों के बीच शिक्षा और संस्कृति से जुड़े सवाल लगभग नदारद थे। घोषणा-पत्र, संकल्प-सूची और गारंटियों की काकली के बीच शिक्षा द्वारा मनुष्य के निर्माण और उसके संवर्धन और संरक्षण से जुड़े प्रश्न की...
शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

शिक्षा, ज्ञान और नैतिकता

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- गिरीश्वर मिश्र आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। ज्ञान का विस्फोट हो रहा। इस युग की मान्यता है कि ज्ञान अपने आप में ‘सेकुलर’ (यानी निर्दोष!) होता है और उसका किसी तरह के मानवीय मूल्य से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वह सबकुछ से परे अर्थात् निरपेक्ष-निष्पक्ष होता है। आज विज्ञान की साखी के साथ (सफ़ेद कोट से सजे) विज्ञापनों की धूम मच रही है। कभी ज्ञान को शक्ति का महान स्रोत घोषित किया गया (नोलेज इज पावर!)। वह छवि आज भी विद्यमान है। विद्या के परिसरों में भी मानविकी (ह्यूमेनिटीज), विज्ञान (साइंस) और प्रौद्योगिकी (टेक्नोलोजी) के आगे बेहद फीकी पड़ रही है। आज विज्ञान से बढ़त पाकर कुछ देश शेष विश्व पर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। शायद इसी सोच के साथ परमाणु बम जैसे संहारक अस्त्र-शस्त्र भी बनते गए। आज भी संहार की विभीषिका का अनुभव करने के बाद भी नए-नए ज़्यादा से ज़्यादा संहार शक्ति वाले अस्त्...
शिक्षा से ही स्वर्णिम भारत की कल्पना साकार होगी

शिक्षा से ही स्वर्णिम भारत की कल्पना साकार होगी

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- गिरीश्वर मिश्र देश को अगले तीन दशकों के बीच यानी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाते वक्त विकसित देशों में शुमार करने का संकल्प बड़ा ही आकर्षक है। हालांकि हालात कैसे करवट बदलते हैं कोई नहीं जानता। इसलिए दावे से यह नहीं कहा नहीं जा सकता कि 2047 तक दुनिया क्या रूप ले लेगी। आज की स्थितियां बनी रहेंगी या कुछ और नक्शा बनेगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। सन सैंतालीस से अब तक के दौर में इतिहास भूगोल के साथ काफी कुछ घटित हो चुका है। यह भी हो सकता है उस मुकाम तक पहुंचते-पहुंचते 'विकसित' का मायने ही कुछ और हो जाए। इसलिए इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि विकसित भारत से हमारा क्या आशय होगा। राम-राज्य चाहिए पर वह व्यवस्था जिसमें सभी कुशल क्षेम से रहें उसके पैमाने बहुत स्पष्ट नहीं हैं। आज के भारत में निश्चय ही अनेक मोर्चों पर उल्लेखनीय सफलता मिली है और देश नि:संदेह आगे बढ़ा है। देश की न केवल आधार-संरचना विस...
विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

विश्व टेलीविजन दिवस: मानव जीवन में टीवी की भूमिका

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- योगेश कुमार गोयल 'ब्लैक ऐंड व्हाइट' बुद्धू बक्सा (टेलीविजन) अपने सहज प्रस्तुतिकरण के दौर से गुजरते हुए कब आधुनिकता के साथ कदमताल करते हुए सूचना क्रांति का सबसे बड़ा हथियार और हर घर की अहम जरूरत बन गया, पता ही नहीं चला। यह दुनिया-जहान की खबरें देने और राजनीतिक गतिविधियों की सूचनाएं उपलब्ध कराने के अलावा मनोरंजन, शिक्षा तथा समाज से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं को उपलब्ध कराने, प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समूचे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद करने वाला एक सशक्त जनसंचार माध्यम है। यह संस्कृतियों और रीति-रिवाजों के आदान-प्रदान के रूप में मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन है, जो तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए पूरी दुनिया के ज्ञान में असीम वृद्धि करने में मददगार साबित हो रहा है। मानव जीवन में टीवी की बढ़ती भूमिका तथा इसके सकारात्मक और नकारात्...
भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

भाजपा ने की रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई की चिंताः शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि 2005-06 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं झाबुआ (Jhabua) आया था, तो यहां सड़कें नहीं (no roads) थी, बिजली नहीं (no electricity) आती थी, पानी नहीं था। गांवों में स्कूल, छात्रावास और आश्रम शालाएं नहीं थीं। बच्चों को पढ़ने के लिए मीलों पैदल (had to walk miles) जाना पड़ता था। मैंने संकल्प लिया कि बच्चों को पैदल स्कूल नहीं जाने दूंगा और हमने भांजे-भांजियों को साइकिलें दी। यहां सीएम राइज स्कूल (CM Rise School) भी खोला जा रहा है, जिसमें अच्छे प्राइवेट स्कूलों की तरह लायब्रेरी, लैब, खेल मैदान और सभी सुविधाएं होंगी। उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि यहां विकास का जितना काम भाजपा सरकार ने किया, कभी कांग्रेस ने किया था क्या? हमने पेसा एक्ट लागू करके आदिवासी भाइयों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार दिय...
योगी सरकार, शिक्षा में बड़ा सुधार

योगी सरकार, शिक्षा में बड़ा सुधार

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री योगी सरकार ने छह वर्ष में उत्तर प्रदेश में विकास के नये आयाम स्थापित किए हैं। इसमें शिक्षा भी शामिल है। माध्यमिक और बेसिक शिक्षा पर इतना ध्यान पहले कभी नहीं दिया गया।ऑपरेशन कायाकल्प योगी आदित्यनाथ की अभिनव योजना रही है। परिषदीय विद्यालयों में इंफ्रॉस्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ऑपरेशन कायाकल्प के पहले चरण में किए गए प्रयासों में आशातीत सफलता मिली है। इस अवधि में परिषदीय विद्यालयों के इंफ्रॉस्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गए। बेसिक शिक्षा परिषद तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में एक लाख 64 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में करीब साठ नये विद्यार्थियों का नामांकन हुआ। सितंबर तक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 2.36 लाख शिक्षकों को टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे। शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी...
बेटे-बेटियों की शिक्षा और कोचिंग में सहयोगी बने किरार समाज : शिवराज

बेटे-बेटियों की शिक्षा और कोचिंग में सहयोगी बने किरार समाज : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- किरार समाज के राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए मुख्यमंत्री चौहान भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रत्येक समाज को शिक्षा, उद्यमशीलता, पर्यावरण-संरक्षण, नशा-मुक्ति अभियान और बेटियों को सशक्त (empowering girls) बनाने के कार्यों में अपना योगदान देना है। किरार-धाकड़ समाज (kirar-dhakar society) भी इस दिशा में अपनी भूमिका को सक्रिय बनाए। समाज स्तर पर विद्यार्थियों को शिक्षा और कोचिंग (Education and coaching of students) के लिए बेहतर सुविधाएँ देकर उनका मनोबल बढ़ाए। समाज-बंधु यह संकल्प लें कि बेटियों का अपमान नहीं होने देंगे। उनके सशक्तिकरण के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान रविवार को भोपाल के बीएचईएल दशहरा मैदान में अखिल भारतीय किरार, क्षत्रिय महासभा और अखिल भारतीय धाकड़ महासभा के महासंगम-2023 को संबोधित कर रहे थे। ...