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भारत को 2047 में 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए : पीयूष गोयल

भारत को 2047 में 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए : पीयूष गोयल

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister of Commerce and Industry Piyush Goyal) ने शनिवार को कहा कि 2047 तक भारत (India) के 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (47 trillion dollar economy) बनने का लक्ष्य निर्धारित (target setting) करना चाहिए। गोयल ने मुंबई में इंडियन मर्चेंट्स चैंबर के तत्वावधान में आयोजित ‘इंडिया कॉलिंग कॉन्फ्रेंस 2023’ के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही। केंद्रीय मंत्री गोयल ने सभी से 2047 तक भारत के 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने का प्रयत्न किया है। इसमें उसे बड़ी सफलता मिली है। टीम भावना प्रतिस्पर्धा और सकारात्मकता सफलता के लिए आवश्यक है। इस तरह की भावना मुंबई में देखी जा सकती है, जो न केवल भारत की वित्तीय बल्कि आनन्द-मौज की भी राज...
देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर, RBI गवर्नर बोले- पीछे छूटा महंगाई का बुरा दौर

देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर, RBI गवर्नर बोले- पीछे छूटा महंगाई का बुरा दौर

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। देश की अर्थव्यवस्था (country's economy) और वित्तीय क्षेत्र (financial sector) स्थिर (stable) है। महंगाई (Dearness) का बुरा दौर पीछे छूट चुका है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank of India (RBI) Governor Shaktikanta Das) का यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने तथा फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर बंद होने खतरे बीच आया है। शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कोच्चि में फेडरल बैंक के संस्थापक केपी होर्मिस के स्मारक व्याख्यान में कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर है। आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को आगाह किया कि संपत्ति और देनदारी में किसी तरह की असमानता या गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन दोनों में गड़बड़ी वित्तीय स्थिरता के लिए नुकसानदेह हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डॉलर की जोरदार मजबूती के बावजूद रुपये ने द...
पाकिस्‍तान की हालात श्रीलंका जैसी, अर्थव्यवस्था तहस-नहस, संकट में आयी ये कंपनियां

पाकिस्‍तान की हालात श्रीलंका जैसी, अर्थव्यवस्था तहस-नहस, संकट में आयी ये कंपनियां

विदेश
नई दिल्‍ली । पाकिस्तान (Pakistan Crisis) का हाल बेहाल है. देश की अर्थव्यवस्था (economy) अपने बुरे दौर से गुजर रही है. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिरता जा रहा है. वहां ठीक वैसे ही हालात नजर आ रहे हैं, जैसे पिछले साल श्रीलंका (Sri Lanka) में दिखाई दिए थे. बदहाल पाकिस्तान में कंपनियों का भी हाल बुरा है और टाटा (Tata), जिंदल (Jindal) समते उन फर्मों पर भी इसका असर पड़ रहा है, जो भारत से संबंधित हैं. ऐसे में बड़ा सवाल इन कंपनियों का आखिर क्या होगा? Pakistan में भी Tata का नाम टाटा (Tata) का नाम भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी Pakistan में भी गूंजता है. देश में टाटा पाकिस्तान कॉरपोरेट सेक्टर का एक बड़ा नाम है. टेक्सटाइल बिजनेस से जुड़ी ये कंपनी पाकिस्तान में टाटा ब्रांड का परचम लहरा रही है. साल 1991 में टाटा टेक्सटाइल मिल्स लिमिटेड (Tata Textile Mils Limited), मुजफ्फरगढ़-पंजाब में सूती धागे के नि...
साल 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था 40 ट्रिलियन डॉलर: मुकेश अंबानी

साल 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था 40 ट्रिलियन डॉलर: मुकेश अंबानी

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली। मुकेश अंबानी ने कहा कि 2047 तक भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक होगा। इसकी अर्थव्यवस्था 3 से 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की कमान संभालते 20 साल पूरा होने के बाद रिलायंस फैमिली डे फाउंडेशन 2022 के मौके पर मुकेश अंबानी ने गुरुवार को यह बात कही। कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए मुकेश अंबानी ने कहा है कि ऐसे समय में जब अनिश्चतता, उतार-चढ़ाव और दुनिया के कई हिस्सों में तनाव का माहौल है, भारत को वैश्विक स्तर पर एक शाइनिंग स्पॉट के तौर पर देखा जा रहा है। हम ऐसे वक्त में जी रहे हैं जब दुनिया 21वीं सदी को भारत की सदी के तौर पर देख रही है। दुनियाभर की निगाहें हम पर हैं। अगले 25 साल बदलाव के हैं। मुकेश अंबानी ने कहा कि हम अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी साल 2047 तक स्थायी और स्थिर तरीके से 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते...
रुपया कमजोर नहीं, मजबूत

रुपया कमजोर नहीं, मजबूत

अवर्गीकृत
- योगिता पाठक भारतीय राजनीति में जब भी अर्थव्यवस्था की बात की जाती है, तो रुपये की कीमत की भी जोर-शोर के साथ चर्चा होती है। मौजूदा समय में राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक और तेजस्वी यादव से लेकर ममता बनर्जी तक हर विपक्षी नेता एक सुर में रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक कमजोर हो जाने की बात करते हुए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता के रूप में बताने में लगे हुए हैं। राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी नेता अगर सरकार को रुपये की कीमत पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनकी सियासी रणनीति के तहत ये स्वाभाविक भी है। इसमें कोई शक नहीं है कि डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा रिकॉर्ड स्तर तक नीचे गिर गई है। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सच ये भी है कि पिछले कुछ सालों के दौरान रुपये की कीमत में रिकॉर्ड मजबूती भी आई है। सुनने में यह बात विरोधाभासी जरूर लगती है, लेकिन सच्चाई यही है। मुद्रा बाजार में रुपया...
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी खेती किसानी

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी खेती किसानी

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एक बात अब साफ हो गई है कि दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को खेती किसानी ही नई दिशा दे सकती है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध ने दो बातें साफ कर दी हैं कि औद्योगिकीकरण के बावजूद खेती किसानी की अपनी अहमियत है। जिस तरह से कोरोना महामारी के दौरान देश-दुनिया के लोगों का बड़ा सहारा खेती किसानी ही बनी, ठीक उसी तरह भुखमरी से जूझते देशों के साथ समग्र विश्व की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार खेती किसानी रह गई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि औद्योगीकरण समय की मांग है पर पिछले कुछ दशकों से औद्योगीकरण के नाम पर खेती-किसानी की जिस तरह से उपेक्षा हुई उसका परिणाम रहा कि गांव उजड़ते गए और शहर गगनचुंबी इमारतों में तब्दील होते गए। इसके साथ ही उद्योग-धंधों की प्राथमिकता के चलते कृषि क्षेत्र पर अपेक्षित ध्यान भी नहीं दिया गया। यह तो अन्नदाता की मेहनत का परिणाम रहा है कि देश में खाद...
आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के रास्ते पर बढ रहा है भारत: सीतारामन

आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के रास्ते पर बढ रहा है भारत: सीतारामन

देश, बिज़नेस
-कहा, स्वच्छ ऊर्जा, बुनियादी ढ़ांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाए एआईआईबी नई दिल्ली। बीजिंग स्थित बहुपक्षीय ऋण एजेंसी (multilateral credit agency) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (Asian Infrastructure Investment Bank) (एआईआईबी) की बैठक में केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री निर्मला सीतारमण (Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि भारत आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था (India self-reliant economy) के रास्ते पर बढ़ रहा है। यही वजह है कि इस पर कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभावों का असर कम हुआ है। सीतारमण ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एआईआईबी की 7वीं वार्षिक बैठक को सबोधित करते हुए कहा कि एआईआईबी को शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के साथ स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। एआईआईबी के गवर्नर मंडल की वार्षिक बैठक में सीतारमण ने कह...
रिवेंज शॉपिंग से मिल रहा इकोनोमी को बूस्ट

रिवेंज शॉपिंग से मिल रहा इकोनोमी को बूस्ट

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा गुस्सा या यों कहें कि बदला भी इकोनोमी को बूस्ट कर सकता है इसका जीता जागता उदाहरण है कोरोना के साये से निकलने के बाद खरीदारी की आजादी। कोरोना ने लोगों की सोच ही बदल डाली थी और लोग भविष्य के लिए इस कदर चिंतित होने लगे थे कि भविष्य के लिए बचत ही एकमात्र ध्येय हो गया था। लोगों का ध्यान केवल बचत और खाने-पीने की सामग्री का संग्रहण, इन दो पर ही खासा ध्यान हो गया था। इसका कारण भी साफ था कि कोरोना के दौर में कब घर में कैद होना पड़े, इसका अंदाज ही नहीं लगाया जा सकता था। ऐसे में लोग समुचित खाद्य सामग्री घर पर रखने पर जोर देने लगे तो आवश्यक सामग्री के अलावा अन्य चीजों पर ध्यान देना ही लगभग छोड़ दिया था। सालाना मोबाइल फोन बदलने की आदत लोगों की छूटी तो लोगों ने कपड़ों आदि की खरीदारी से भी मुंह मोड़ लिया। यहां तक कि कोरोना लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोगों ने मॉल्स में जाना, सिनेमा...
भारतीय त्योहार देते हैं अर्थव्यवस्था को गति

भारतीय त्योहार देते हैं अर्थव्यवस्था को गति

अवर्गीकृत
- प्रहलाद सबनानी भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व है। भारतीय नागरिक इन त्योहारों को श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाते है। गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली, होली, ओणम, रामनवमी, महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आदि त्योहारों को देश में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में गिना जाता है। कुछ त्योहारों, जैसे दीपावली, के तो एक दो माह पूर्व ही सभी परिवारों द्वारा इसे मनाने की तैयारियां प्रारम्भ कर दी जाती हैं। यह त्योहार अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी लाते हैं, क्योंकि देश के सभी नागरिक मिलकर इन त्योहारों के शुभ अवसर पर वस्तुओं की खूब खरीदारी करते हैं जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। इन त्योहारों के दौरान देश में एक से लेकर दो लाख करोड़ रुपये के बीच खुदरा व्यापार होता है जो पूरे वर्ष के दौरान होने वाले खुदरा व्यापार का एक बहुत बढ़ा हिस्सा रहता है। ...