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भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विस्तृत क्षितिज

भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विस्तृत क्षितिज

अवर्गीकृत
- अनीता प्रवीण भारत दुनिया की सबसे बड़ी एवं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसका खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आर्थिक विकास को गति देने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार ने विभिन्न व्यावहारिक पहल के साथ-साथ सुधारों के नए युग की शुरुआत की है, जिसने भारत को तेजी से विकास के पथ पर ला खड़ा किया है। भारत सरकार की प्रगतिशील नीतिगत पहल एवं उपायों के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है और मैन्यूफैक्चरिंग के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 7.66 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि के जीवीए में 8.45 प्रतिशत का योगदान दिया है। समृद्ध एवं विविधतापूर्ण कृषिगत संसाधनों से लैस भारत वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादन के मामले में महत्वपूर्ण शक्ति है। दूध, पोषक अनाज, खाद्यान्न, फल, सब्जियां, चाय और मछली जै...
जनजाति समाज के लिए चलाई जा रही आर्थिक विकास की योजनाएं

जनजाति समाज के लिए चलाई जा रही आर्थिक विकास की योजनाएं

अवर्गीकृत
- प्रहलाद सबनानी जनजाति समाज बहुत ही कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए देश में दूरदराज इलाकों के सघन जंगलों के बीच वनों में रहता है। जनजाति समाज के सदस्य बहुत ही कठिन जीवन व्यतीत करते रहे हैं एवं देश के वनों की सुरक्षा में इस समाज का योगदान अतुलनीय रहा है। चूंकि यह समाज भारत के सुदूर इलाकों में रहता है, अतः देश के आर्थिक विकास का लाभ इस समाज के सदस्यों को कम ही मिलता रहा है। इसी संदर्भ में केंद्र सरकार एवं कई राज्य सरकारों ने विशेष रूप से जनजाति समाज के लिए कई योजनाएं इस उद्देश्य से प्रारम्भ की हैं कि इस समाज के सदस्यों को राष्ट्र विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इस समाज की कठिन जीवनशैली को कुछ हद तक आसान बनाया जा सके। भारत में सम्पन्न हुई वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की कुल जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। जनजाति समाज के स...