Wednesday, November 13"खबर जो असर करे"

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एकात्म मानववाद का सच होता सपना

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- श्याम जाजू भारतीय राजनीति को नया वैचारिक धरातल देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की इस बार रविवार को 106वीं जयंती है। हर वर्ष भाजपा, केंद्र और प्रदेशों में इसकी सरकारें अनेक कार्यक्रम कर पंडित जी और उनके वैचारिक दर्शन 'एकात्म मानववाद' पर चिंतन करती हैं तथा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। पर भाजपा से परे अन्य दलों और सामान्य-जन के बीच इस पर चर्चा न के बराबर होती है। यूं कि दीनदयाल सिर्फ भाजपा के ही हों! दुर्भाग्य से 20वीं सदी के इस विलक्षण विचारक के बारे में देश में बहुत कम जानकारी है। जो जानते भी हैं, वे भी इतना ही जानते हैं कि भाजपा रूपी वटवृक्ष की जड़ों को जनसंघ के रूप में सींचनेवाले उपाध्याय ही थे। मात्र 52 वर्ष की उम्र में पं दीनदयाल चले गए, पर अपने पीछे इतना कुछ छोड़ गए कि इस देश के राष्ट्रवादी उनके ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकेंगे। जिस संगठन के पौधे को उन्होंने सींचा, वह आज भाजपा के ...

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से साकार हुआ बिरसा मुंडा का सपना

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- आर.के. सिन्हा आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गईं हैं। अब उन्हें सोमवार (25 जुलाई) को पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में दिलवाई जाएगी। वह जब भारत के प्रथम नागरिक के रूप में शपथ ग्रहण करेंगी तब देश के लगभग 10 करोड़ आदिवासी निश्चित रूप से दिल से गौरवान्वित महसूस करेंगे। भारत की साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल जनसंख्या का साढ़े आठ फीसदी हिस्सा आदिवासियों का है। जरा गौर करें क 2011 की जनगणना में हिन्दू देश की कुल आबादी में 96.93 करोड़ के साथ लगभग 80 फीसद थे। उनके बाद मुसलमान 17.22 करोड़ की आबादी के साथ दूसरे स्थान पर थे। उनकी आबादी 14.2 फीसद थी। ईसाई जनसंख्या 2.78 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर थी। सिखों की आबादी 2.08 करोड़ के साथ चौथे स्थान थी। इससे समझा जा सकता है कि आदिवासियों को उनका सामान्य सा हक देने में भी कितना विलंब क...