अब दोहरे मोर्चे पर उलझे पुतिन
- डॉ. प्रभात ओझा
रूस में सैन्य विद्रोह हो गया। यह तथ्य अर्द्धसत्य हो सकता है। इसलिए कि विद्रोही 'वैगनर' लड़ाके रूस के पूर्णरूपेण सैनिक नहीं हैं। 'वैगनर' प्राइवेट आर्मी है। खास बात यह कि यूक्रेन युद्ध में यह रूस की ओर से मोर्चे पर थी। इसका चीफ येवगेनी प्रिगोझिन है। वह राष्ट्रपति पुतिन का नजदीकी रहा है। उसे उनका रसोइया भी कहा जाता है। रसोइया ही अब जान का दुश्मन बन गया। उसे नाटकीय ढंग से मनाया गया। 'वैगनर' ने विद्रोह किया। लड़ाके राजधानी मास्को की ओर बढ़े। ...और कुछ नजदीक तक पहुंचते कि उससे पहले ही उनके प्रमुख ने वापस लौटने का फरमान सुना दिया। यह कुल 36 घंटों से भी कम समय में हुआ। इस अवधि में दुनियाभर की निगाहें रूस पर टिक गईं कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का अब क्या होगा।
यह सवाल तो आगे भी कायम रहने की उम्मीद है कि पुतिन का क्या होगा। अभी हाल में रूसी संविधान में हुए बदलाव के मुताबिक वे आज...