वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का रुपया क्या डॉलर का स्थान लेगा !
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
इसे आप काल के चक्र का प्रवाह एवं पुनर्चक्रीकरण भी मान सकते हैं कि जिस भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था में कभी 32 प्रतिशत का योगदान हुआ करता था, वह भारत एक बार फिर उसी दिशा में आगे बढ़ने लगा है। दुनिया के अर्थशास्त्री भारत के इस नए रूप को देख कर चमत्कृत हैं, वहीं अमेरिका को लगता है कि यदि इसी तरह से भारत आगे बढ़ता रहा तो कहीं ऐसा न हो कि डॉलर के रूप में जो विश्व में एक देश की दूसरे देश के साथ व्यापार करने की जो अनिवार्यता या आवश्यकता चली आ रही है, वह समाप्त न हो जाए। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहे इसलिए आज वह इससे जुड़े जरूरी कदम उठा रहा है और भारत इसके लिए अपने हिस्से का दांव खेल चुका है।
अभी भारत में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है, देश के आम नागरिक अपने लिए सरकार का चुनाव कर रहे हैं। ऐसे समय में सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख नेताओं के साक्षात्का...