Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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रेबीज से मौत, दहशत में लोग

रेबीज से मौत, दहशत में लोग

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर रेबीज से उत्पन्न हुई दर्दनाक घटनाओं ने समाज को भयभीत कर दिया है। आमजन इस बात से अचंभित हैं कि आखिर रेबीज का संक्रमण अचानक से इतना खतरनाक और जानलेवा कैसे हो गया? अकसर कुत्ता काटने के बाद पीड़ित रेबीज का टीका लगवा लेते हैं और एकाध सप्ताह में स्वस्थ हो जाते हैं। पर, अब घटनाएं जान लेने लगी हैं। कुछ दिन पहले की ही बात है जब गाजियाबाद में रेबीज इंफेक्शन के चलते सावेज नाम के एक 14 वर्षीय लड़के की मौत हो गई। बच्चे को डेढ़ माह पूर्व पार्क में खेलते वक्त कुत्ते ने दाहिने पैर में काटा था। बच्चे ने डर के चलते यह बात परिजनों से छुपाई। कुछ दिन बाद रेबीज का संक्रमण बच्चे के शरीर में इतनी तेजी से फैला कि लक्षण साफ दिखाई देने लगा। पिता बच्चे को गोद में लेकर अस्पतालों के चक्कर काटता रहा। लेकिन, किसी भी अस्पताल ने इलाज नहीं किया। आखिरकार बच्चे ने तड़प-तड़पकर पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया। किशो...

‘कुत्ते के काटने पर मुआवजा देने का कानून नहीं’, बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्र सरकार का बयान

देश
नई दिल्‍ली । पिछले कुछ सालों में देश में कुत्तों (dogs) के काटे जाने के मामलों में वृद्धि देखी गई है. सड़क-गलियों में घूमते आवारा कुत्ते और पालतू कुत्ते कभी भी किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं. देश के कई शहरों में कुत्तों के हमले (attack) में मासूम बच्चों की जान जाने की भी खबरें सामने आई हैं. कुत्तों के काटने पर मुआवजा दिए जाने वाली बात पर देश के मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय (Ministry of Fisheries and Animal Husbandry) का बयान सामने आया है. सरकार का कहना है कुत्तों के काटने पर मुआवजा देने का कोई नियम नहीं है. लिवस्टॉक की जनगणना में सामने आया है कि साल 2012 में देश में आवारा कुत्तों की जनसंख्या 171.4 लाख थी जो 2019 में घटकर 153.1 लाख हो गई है. लेकिन पालतू और आवारा कुत्तों के इंसानों को काटे जाने के मामले बड़े हैं. देश के मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय ( Ministry of Fisheries and Ani...