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MP: मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को एक जनवरी 2016 से मिलेगा सातवां वेतनमान

MP: मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को एक जनवरी 2016 से मिलेगा सातवां वेतनमान

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने किया दो हजार बिस्तरीय अस्पताल का लोकार्पण, कहा- सभी विभागों के चिकित्सकों को समयबद्ध वेतनमान भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ((Chief Minister Shivraj Singh Chouhan)) ने सोमवार शाम को भोपाल में शासकीय महात्मा गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय (जीएमसी) (Government Mahatma Gandhi Medical College - GMC) में दो हजार बिस्तरीय अस्पताल का लोकार्पण (Inauguration of two thousand bed hospital) किया। इस अवसर पर चिकित्सकों के हित में बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के चिकित्सकों को समयबद्ध वेतनमान दिया जाएगा। बिना पदोन्नति की बाध्यता के पाँच, दस और पन्द्रह वर्ष में वेतन वृद्धि मिलेगी। मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को भी एक जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान मिलेगा। उन्होंने कहा कि वेतन की एनपीए गणना की त्रुटियों को दूर किया जाएगा। संविदा कर्मियों के जैसे ही संविदा चिकि...
डॉक्टर्स के ब्रेन डेन को नजरअंदाज मत करिए

डॉक्टर्स के ब्रेन डेन को नजरअंदाज मत करिए

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा देश से डॉक्टर्स का ब्रेन ड्रेन यानी प्रतिभा पलायन इस मायने में महत्वपूर्ण और गंभीर हो जाता है कि देश में चिकित्सकों की आज भी बेहद कमी का सामना करना पड़ रहा है। देश के करीब 75 हजार डॉक्टर्स ओईसीडी यानी कि आर्थिक सहयोग व विकास संगठन से जुड़े देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ताजातरीन उदाहरण देश के सबसे बड़े दिल्ली के एम्स का ही देखा जा सकता है, जहां पिछले दस माह में सात विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने किसी न किसी कारण से सेवाएं देना बंद कर दिया है। आज दस हजार से अधिक लोगों को प्रतिदिन सेवाएं देने वाले एम्स में ही 200 डॉक्टर्स की कमी चल रही है। यह तो एक मिसाल मात्र है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हमारे चिकित्सकों की काबिलीयत और विशेषज्ञता के कारण ही विदेशों में अपनी पहचान बनाए हुए हैं । एक मोटे अनुमान के अनुसार ओईसीडी देशों में रह रहे 75 हजार डॉक्टर्स में से करीब दो तिहाई तो अमेरि...
चिकित्सा शिक्षा में परिवर्तन का समय

चिकित्सा शिक्षा में परिवर्तन का समय

अवर्गीकृत
- डॉ.अजय खेमरिया चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हाल ही में दो महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव हुए हैं।पहला देश भर में यूजी यानी एमबीबीएस प्रवेश के लिए कॉमन काउंसिलिंग होगी। दूसरा मध्य प्रदेश सरकार ने पीजी कर रहे डॉक्टरों के लिए तीन महीने ग्रामीण क्षेत्रों में एक तरह की इंटर्नशिप को अनिवार्य बना दिया है। दोनों ही निर्णय चिकित्सा शिक्षा को समावेशी बनाने में सहायक होंगे लेकिन भारत में अभी भी यह क्षेत्र कुछ बड़े निर्णय के इंतजार में है। बेशक मौजूदा केंद्र सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव सुनिश्चित किए हैं जिसके चलते अब डॉक्टरी पेशा अभिजात्य श्रेणी से निकलकर आम भारतीय की पहुंच में आया है लेकिन जनस्वास्थ्य के मोर्चे पर आज भी देश की आबादी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बीच भरोसे का अपेक्षित रिश्ता विकसित नही है। देश में एमबीबीएस सीट की संख्या पिछले नौ सालों में 51348 से बढ़कर 101043...