ममता की घृणित राजनीति
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
राजनीति करते-करते किस सीमा तक गिरा जा सकता है, इसके अनेकों उदाहरण विपक्षी दल के नेताओं के इस समय देखे जा सकते हैं। आश्चर्य होता है कि मोदी या भाजपा के बैर ने उन्हें इतना अंधा बना दिया है कि वे सही एवं गलत में भी अंतर नहीं करना चाहते । धरने पर बैठे राहुल गांधी भगवान रामलला के भव्य मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जो बोले वह अपनी जगह है, हद तो वीरप्पा मोइली ने भी की है, किंतु इन सब के बयानों से बढ़कर यदि किसी ने इस वक्त नफरत भरी घृणित शब्दावली का प्रयोग किया है तो वह हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी । एक राज्य के महत्वपूर्ण संविधानिक शीर्ष पद पर बैठे किसी व्यक्ति से इस प्रकार के शब्दों के बोलने की उम्मीद कोई नहीं करता, जैसा ममता बोल गई हैं। ‘जो काफिर हैं वो डरते हैं, मरते हैं’ ।
दुख यह सोचकर होता है कि काफिर शब्द के बारे में क्या ममता जानती नहीं हैं? सदियों...