Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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भारतीय संस्कृति और मर्यादा का अंतस

भारतीय संस्कृति और मर्यादा का अंतस

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- हृदयनारायण दीक्षित प्रत्यक्ष पर्यावरण प्रकृति की संरचना है। भारत के प्राचीनकाल में भी प्राकृतिक पर्यावरण की उपस्थिति मनमोहक थी। प्रकृति को देखते, उसके विषय में सोचते और सुनते मनुष्य ने भी सृजन कर्म में जाने अनजाने भागीदारी की। आज का भारत हमारे पूर्वजों, अग्रजों के सचेत कर्मों का परिणाम है। मनुष्य द्वारा किए गए सुंदर सत्कर्म संस्कृति हैं। प्रकृति स्वाभाविक है। लेकिन संस्कृति मनुष्य की रचना है। संक्षेप में विश्व के प्रत्येक जीव की लोकमंगल कामना और उसके लिए किए गए कर्म संस्कृति है। संस्कृति किसी एक व्यक्ति या समूह के कर्मफल का परिणाम नहीं होती। भारतीय संस्कृति के विकास में विज्ञान और दर्शन की महत्ता है। कोई अंधविश्वास नहीं। रूप, रस, गंध, शब्द और स्पर्श प्रत्यक्ष इंद्रिय बोध के हिस्से हैं। पूर्वजों की 'मंगल भवन अमंगल हारी'' कर्मठ चेतना से संस्कृति का विकास हुआ। सारांशतः भारत के बुद्धि ...
श्रीराम के शील, आचार और मर्यादा से भारतीय विवेक का निर्माण

श्रीराम के शील, आचार और मर्यादा से भारतीय विवेक का निर्माण

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत श्रीराममय हो गया है। यह अव्याख्येय है। दर्शन और मनोविज्ञान के सिद्धांतों से भारत के ताजा उत्साह की व्याख्या नहीं हो सकती। अयोध्या में जनसैलाब उमड़ रहा है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का दिन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी उपस्थित थे। अयोध्या में इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रित लगभग 7000 लोगों की उपस्थिति थी। लेकिन कार्यक्रम स्थल के अलावा भी पूरी अयोध्या राममय थी। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में अपेक्षित लोगों की सूची में मैं भी था। इसलिए सारा कार्यक्रम निकट से देखने का अवसर मिला। अयोध्या और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मध्य 135 किमी का फासला है। इस लम्बे मार्ग के किनारे-किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ जय श्रीराम का नारा लगा रही थी। सबके चेहरे पर उल्लास और उत्साह। सब आनंदित और सब प्रसन्न। देश और विदेश के तमाम क्षेत्रों में भी अपने-अपने ढंग से उल्...
डॉ. अंबेडकर जयंती का आयोजन पूर्ण भव्यता व गरिमा के साथ किया जाए: मुख्यमंत्री

डॉ. अंबेडकर जयंती का आयोजन पूर्ण भव्यता व गरिमा के साथ किया जाए: मुख्यमंत्री

देश, मध्य प्रदेश
- 14 अप्रैल को महू और महेश्वर में होंगे कार्यक्रम, ग्वालियर में 16 अप्रैल को होगा डॉ. अंबेडकर महाकुंभ भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि भारतीय संविधान और आधुनिक भारत के निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती (Birth anniversary of Dr. Bhimrao Ambedkar) पर महू, महेश्वर और ग्वालियर में होने वाले कार्यक्रम पूर्ण भव्यता और गरिमा (program full grandeur and dignity) के साथ किए जाएँ। डॉ. अंबेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल को महू और महेश्वर में कार्यक्रमों के आयोजनों के साथ ही 16 अप्रैल को ग्वालियर में डॉ. अंबेडकर महाकुंभ (Dr. Ambedkar Mahakumbh in Gwalior) किया जा रहा है। भारत रत्न डॉ. अंबेडकर का गरीब, दलित और वंचितों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान है। सभी महाकुंभ में शामिल हों और डॉ. अंबेडकर के प्रति अपना आदर भाव प्रकट करें। मुख...

शिक्षक की गरिमा: पुनर्प्रतिष्ठा की अनिवार्यता

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- गिरीश्वर मिश्र भारतीय संस्कृति में गुरु या शिक्षक को ऐसे प्रकाश के स्रोत के रूप में ग्रहण किया गया है जो ज्ञान की दीप्ति से अज्ञान के आवरण को दूर कर जीवन को सही मार्ग पर ले चलता है। इसीलिए उसका स्थान सर्वोपरि होता है। उसे ‘साक्षात परब्रह्म’ तक कहा गया है। आज भी सामाजिक, आध्यात्मिक और निजी जीवन में बहुत सारे लोग किसी न किसी गुरु से जुड़े मिलते हैं। गुरु से प्रेरणा पाने और उनके आशीर्वाद से मनोरथों की पूर्ति की कामना आम बात है यद्यपि गुरु की संस्था में इस तरह के विश्वास को कुछ छद्म गुरु नाजायज़ फ़ायदा भी उठाते हैं और गुरु-शिष्य के पावन सम्बन्ध को लांछित करते हैं। शिक्षा के औपचारिक क्षेत्र में गुरु या शिक्षक एक अनिवार्य कड़ी है जिसके अभाव में ज्ञान का अर्जन, सृजन और विस्तार सम्भव नहीं है। भारत में शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति को जीवंत करता है, वे एक महान अध्यापक और राजनयिक...

हामिद अंसारी करते रहे उपराष्ट्रपति पद की गरिमा तार-तार!

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- आर.के. सिन्हा देश के अगले उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बनेंगे या मार्गरेट अल्वा? इस सवाल का उत्तर राष्ट्र को आगामी 06 अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति के चुनाव के नतीजे आने के बाद मिल जाएगा। अब तक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, वी.वी.गिरी, गोपाल स्वरूप पाठक, बी.डी.जत्ती, एम हिदायतउल्ला, आर.वेंकटरमण, डॉ. शंकरदयाल शर्मा, डॉ. के.आर. नारायणन, कृष्णकांत, भैंरोसिंह शेखावत, हामिद अंसारी और वैंकया नायडू को देश के उपराष्ट्रपति बनने का गौरव मिला। बेशक, यह देश का अति महत्वपूर्ण पद है। पर कहना पड़ेगा कि मोहम्मद हामिद अंसारी ने अपने पद की गरिमा का ख्याल नहीं किया। वे सन 2007 से लेकर सन 2012 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे। वे लगातार अपनी ओछी और गैर-जिम्मेदराना बयानबाजी से भारत को शर्मिंदगी में डालते रहे। उपराष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद भी वे लुटियन दिल्ली के भव्य राजसी सरकारी बंगले का सुख ल...

सार्वजनिक जीवन में मर्यादा की जरूरत

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- गिरीश्वर मिश्र देश को स्वतंत्रता मिली और उसी के साथ अपने ऊपर अपना राज स्थापित करने का अवसर मिला। स्वराज अपने आप में आकर्षक तो है पर यह नहीं भूलना चाहिए कि उसके साथ जिम्मेदारी भी मिलती है। स्वतंत्रता मिलने के बाद आजादी का स्वाद तो हमने चखा पर उसके साथ की जिम्मेदारी और कर्तव्य की भूमिका निभाने में ढीले पड़ कर कुछ पिछड़ते गए। देश को देने की जगह शीघ्रता और आसानी से क्या पा लें, इस चक्कर में भ्रष्टाचार, भेद-भाव तथा अवसरवादिता आदि का असर बढ़ने लगा। इसीलिए देश के आम चुनाव में कई बार भ्रष्टाचार एक मुख्य मुद्दा बनता रहा। देश की जनता उससे मुक्ति पाने के लिए वोट देती रही है। परन्तु परिस्थितियों में जिस तरह का बदलाव आता गया है उसमें देश की राजनीतिक संस्कृति नैतिक मानकों के साथ समझौते की संस्कृति होती गई। आज की स्थिति में धनबल, बाहुबल, परिवारवाद के साथ राजनीति के किरदारों की अपराध में संलिप्तता किस जोर...