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जनसंख्या विस्फोट का अभिप्राय, दुश्वारियां और नेमतें

अवर्गीकृत
- गिरीश्वर मिश्र आजकल जनसंख्या का आधिक्य या विस्फोट चर्चा का विषय बना हुआ है। यह निश्चय ही एक अवांछनीय स्थिति होती है जब धरती की धारण शक्ति या क्षमता की अपेक्षा उस पर रहने वाले मनुष्यों की संख्या बढ़ जाती है । आज तकनीकी प्रगति ने जीवन की प्रत्याशा को बढ़ाने में विशेष मदद की है। मानव इतिहास में जन्म और मृत्यु दर एक दूसरे को संतुलित करते रहे हैं और ऐसी जनसंख्या वृद्धि हो जो टिकाऊ हो। आज के दौर में विकासशील देश विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या की वृद्धि से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। विकसित श्रेणी में आने वाले देशों में थोड़ी-थोड़ी जनसंख्या के साथ यूरोप और अमेरिका के क्षेत्रों में ऐसे अनेक देश हैं जो आर्थिक, शैक्षिक और तकनीकी विकास की सीढ़ी पर ऊंचे पायदान पर पहुंचे हुए हैं। उदाहरण के लिए इजरायल जैसे छोटे से देश को लें जो एक नया देश बना और देखते-देखते अपनी पुरानी भाषा हिब्र्रू के साथ ज्ञान-वि...