धन्वन्तरि जयन्ती: देवताओं के वैद्य, चिकित्सा के देवता
- रमेश सर्राफ धमोरा
हमारे देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है। इसी दिन से घरों की लिपाई-पुताई प्रारम्भ कर देते हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि पीतल का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं।
दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धन्वन्तरि देवताओं के वैद्य और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियो...