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मप्र में धूमधाम से मनाई गई देवउठनी एकादशी, गन्ने के मंडप में हुआ तुलसी-शालिग्राम विवाह

मप्र में धूमधाम से मनाई गई देवउठनी एकादशी, गन्ने के मंडप में हुआ तुलसी-शालिग्राम विवाह

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गुरुवार को देवउठनी एकादशी का पर्व धूमधाम (Devuthani Ekadashi festival pomp) से मनाया गया है। राजधानी भोपाल समेत प्रदेशभर में सुबह से जहां लोगों ने जहां पर्व की तैयारियां की, तो वहीं देर शाम घर-घर में गन्नों के मंडप में वैदिक रीति (Vedic tradition in sugarcane pavilion) से तुलसी व शालिग्राम का ब्याह (Marriage of Tulsi and Shaligram) रचाया गया। मान्यता के अनुसार, भगवान श्री हरि विष्णु (Lord Shri Hari Vishnu) पांच माह की निद्रा से जाग गए। इसके साथ चातुर्मास का भी समापन हो गया। साथ ही शादी ब्याह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, नामकरण जैसे मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट गई। अब मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। पौराणिक कथा के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और चतुर्मास बैकुण्ठ धाम में विश्राम करते ...
देवउठनी एकादशी: पाताल से बैकुंठ लोक को लौटेंगे भक्त वत्सल भगवान

देवउठनी एकादशी: पाताल से बैकुंठ लोक को लौटेंगे भक्त वत्सल भगवान

अवर्गीकृत
- डॉ. राघवेंद्र शर्मा भगवान की लीला अपरंपार है। इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है- हरि अनंत हरि कथा अनंता। काहई सुनई बहु विधि बहु संता।। इस चौपाई के अनुसार अखिल ब्रह्मांड नायक भगवान श्री हरि विष्णु की और उनके अवतारों की कथा अनंत है। क्योंकि वे स्वयं भी अनंत हैं, जिनका ना कोई आदि है और ना अंत। उनकी कथाओं के बारे में भी यही मान्यताएं हैं कि उन्हें जितनी बार पढ़ा अथवा सुना जाए, प्रत्येक बार नवीनता का अहसास बना रहता है। ऐसा लगता है मानो जो इस बार सुना वह पहले तो सुना ही नहीं! ऐसा इसलिए, क्योंकि भगवान् भक्तवत्सल हैं। जहां कहीं भी सच्ची भक्ति अथवा प्रेमपूर्वक आह्वान का एहसास भर होता है, प्रभु वहां प्रेम बंधन में बंधे होकर खिंचे चले जाते हैं। ऐसी ही एक कथा दैत्य राज बलि की भी है। धर्मग्रंथों के अनुसार राजा बलि असुरों का प्रमुख था और अपने वीरोचित पराक्रम, दान, सत्यवाद के बल पर उसने तीनों ल...