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देवउठनी एकादशी: पाताल से बैकुंठ लोक को लौटेंगे भक्त वत्सल भगवान

देवउठनी एकादशी: पाताल से बैकुंठ लोक को लौटेंगे भक्त वत्सल भगवान

अवर्गीकृत
- डॉ. राघवेंद्र शर्मा भगवान की लीला अपरंपार है। इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है- हरि अनंत हरि कथा अनंता। काहई सुनई बहु विधि बहु संता।। इस चौपाई के अनुसार अखिल ब्रह्मांड नायक भगवान श्री हरि विष्णु की और उनके अवतारों की कथा अनंत है। क्योंकि वे स्वयं भी अनंत हैं, जिनका ना कोई आदि है और ना अंत। उनकी कथाओं के बारे में भी यही मान्यताएं हैं कि उन्हें जितनी बार पढ़ा अथवा सुना जाए, प्रत्येक बार नवीनता का अहसास बना रहता है। ऐसा लगता है मानो जो इस बार सुना वह पहले तो सुना ही नहीं! ऐसा इसलिए, क्योंकि भगवान् भक्तवत्सल हैं। जहां कहीं भी सच्ची भक्ति अथवा प्रेमपूर्वक आह्वान का एहसास भर होता है, प्रभु वहां प्रेम बंधन में बंधे होकर खिंचे चले जाते हैं। ऐसी ही एक कथा दैत्य राज बलि की भी है। धर्मग्रंथों के अनुसार राजा बलि असुरों का प्रमुख था और अपने वीरोचित पराक्रम, दान, सत्यवाद के बल पर उसने तीनों ल...